हरियाणा में जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों की अब खैर नहीं
सख्त कानून में दस साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान लागू
हरियाणा सरकार ने अधिनियम लागू करने के लिए जारी हुई अधिसूचना जारी
LP Live, Chandigarh: हरियाणा विधानसभा के पिछले बजट सत्र के दौरान पारित हरियाणा विधिविरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण नियम की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन कराने वाले दोषियों को दस साल तक की सजा और जुर्माने के प्रावधान वाले कानून को लागू कर दिया गया है।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश में इस अधिनियम की अधिसूचना जारी होते ही कानून लागू हो गया है। उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत किसी दबाव, लालच, शादी का झांसा देकर या किसी अन्य तरीकों से डरा या धमका करके कोई किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकेगा। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट भी पहले ही अपनी चिंता जता चुका है कि कोई जबरदस्ती व उल्लंघन करके किसी का धर्म-परिवर्तन नहीं करवा सकता हैं। विज ने कहा कि इस अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई स्वेच्छा से अपना धर्म-परिवर्तन करना चाहता है, तो संबंधित जिला के उपायुक्त को आवेदन दिया जाएगा और उपायुक्त उसका नोटिस देकर उसकी जांच करवाएंगें। यदि उपायुक्त संतुष्ट होते हैं तो वह स्वेच्छा कर धर्म परिवर्तन कर रहा है, तो उसको मंजूरी दी जा सकती है।
अधिनियम में सख्त सजा का प्रावधान
गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि धर्म परिवर्तन के मामले में इस अधिनियम के तहत 5 से 10 साल तक की सजा के अलावा एक लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी इस संबंध में शिकायत करेगा तो उसकी जांच करके कार्यवाही की जाएगी। यह कानून किसी भी तरह के जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन को रोकने के लिए बनाया गया है। विज ने कहा कि हमारे संविधान में सभी धर्म के लोगों को अपने धर्म के तहत आयोजन करने की स्वीकृति दी है और इस अधिनियम का इस प्रकार से कोई तालुल्क नहीं हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत यदि कोई लालच, दवाब, झांसा या गैर-कानूनी कार्य करके शादी करता है तो ऐसे मामले में ही कार्यवाही की जाएगी।
अधिसूचना में यह भी विकल्प
हरियाणा राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के तहत इस अधिनियम में याचिकाकर्ता की अपनी आय तथा प्रतिवादी की आय को ध्यान में रखकर भरण-पोषण तथा कार्यवाही के खर्चों तथा कार्यवाही के दौरान ऐसी मासिक भरण-पोषण राशि का याचिकाकर्ता को भुगतान करने के लिए प्रतिवादी को आदेश दे सकता है। न्यायायल, विवाह से जन्मे अवस्यक बालक को कार्यवाही के दौरान बालक के बेहतर हित में भरण-पोषण तथा कार्यवाही के खर्चें ऐसे व्यक्ति के माध्यम से भुगतान करने के लिए प्रतिवादी को आदेश देगा, जो न्यायालय उचित समझे।