हरियाणा के झज्जर में खुलेगा आईआईटी दिल्ली का सेंटर
मुख्यमंत्री की आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों के साथ बनी सहमति


LP Live, New Delhi: हरियाणा के झज्जर जिले के गांव बाढ़सा में करीब 50 एकड़ भूमि पर आईआईटी दिल्ली का एक्सटेंशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस सेंटर की स्थापना को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक में सहमति बनी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में रविवार को इस बैठक में आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों से हुई चर्चा के बाद झज्जर के गांव बाढ़सा में आईआईटी दिल्ली के एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना को मंजूरी दी। वहीं मुख्यमंत्री ने आईआईटी दिल्ली के अधिकिरयों को आश्वस्त किया कि इस मामले में हरियाणा सरकार उन्हें पूरा सहयोग देगी। उन्होंने कहा कि बाढ़सा में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान से मिलने वाले मरीजों के डाटा और स्वास्थ्य विज्ञान का आईआईटी दिल्ली की टेक्नोलॉजी के समावेश से नई हेल्थ केयर प्रौद्योगिकियां विकसित होंगी। इस आईआईटी परिसर में एमएससी, पीएचडी के अलावा विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाए जाएंगे। इन विशेष कोर्सों और ट्रेनिंग प्रोग्राम से युवाओं की स्किलिंग होगी और स्थानीय युवाओं के लिए विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
कैंसर के इलाज पर तकनीक होगी विकसित
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कैंपस में मेडिकल इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए तकनीक विकसित होगी जिससे कैंसर के टिशू के उद्गम का स्थान का पता लगाया जा सकेगा और उसके बाद शरीर में कैंसर से ग्रस्त पूरे अंग को निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा आईआईटी दिल्ली के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से समय-समय पर आवश्यक नई तकनीक खोजने के लिए कैंपस में काम होता रहेगा। उदाहरण के तौर पर डेंटल इंप्लांट्स, बुजुर्गों में हिप प्रोटेक्शन डिवाइस लगाने प्रोस्थेटिक घुटने के ज्वाइंट आदि। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, तकनीकी शिक्षा तथा उच्चतर शिक्षा विभागों के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार, महानिदेशक राजीव रतन के अलावा आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बेनर्जी व डीन तथा अन्य प्रोफेसर गण उपस्थित रहे।

दवाई पर होगा रिसर्च
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यह कैंपस भारत का प्रेसीजन मेडिसिन अर्थात मरीज विशेष को किस प्रकार की दवा की आवश्यकता है, अनुसंधान से वह दवा विकसित करने का भारत का पहला केंद्र बनेगा। इसके लिए मेडिकल विशेषज्ञों से मरीज की जरूरत का पता लगाकर बायोइंजीनियरिंग के सॉल्यूशन ढूंढे जाएंगे। इससे हमारी फार्मा कंपनियों को लाभ होगा, वे कैंसर मरीजों के लिए राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों और आईआईटी दिल्ली के तकनीकी विशेषज्ञों की रिसर्च के आधार पर नई दवा विकसित कर पाएंगे, जो कि हमारे मरीजों के इलाज के लिए अनुकूल होंगी। बैठक में बताया गया कि अभी कैंसर की जो दवाइयां आ रही है वे विदेशों की रिसर्च के आधार पर वहां की परिस्थितियों के अनुरूप तैयार हो रही हैं।
कैंसर अनुसंधान पर होगा फोकस
बैठक में आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने बताया कि इस कैंपस में निर्माण, एकेडमिक प्रोग्राम तथा राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के मरीजों पर फोकस करते हुए रिसर्च और डिजाइन फैसिलिटी आदि विकसित करने में लगभग 3 वर्ष का समय लगेगा। इस सेंटर में आर एंड डी फैसिलिटी, स्टार्ट अप, अन्य बीमारियों के लिए विस्तार के कार्य आदि में 3 से 5 वर्ष का समय लग सकता है। स्पोर्ट्स इंजरी और प्रिसिजन मेडिसिन के लिए रिसर्च में 5 वर्ष से अधिक का समय लगने की संभावना है।
