गुजरात के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी को 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा
गुजरात के मेहसाणा की एक अदालत ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी (Vipul Chaudhary) को शुक्रवार को सात दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है। विपुल चौधरी को दूधसागर डेयरी का अध्यक्ष रहने के दौरान कथित रूप से 800 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को चौधरी को गिरफ्तार किया था। एसीबी ने आज विभिन्न आधारों पर अदालत से चौधरी को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का अनुरोध किया। बचाव एवं अभियोजन दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ए.एल. व्यास ने पूर्व मंत्री की सात दिनों की पुलिस हिरासत मंजूर कर ली।
सीए को भी एसीबी की हिरासत में भेजा
अदालत ने चौधरी के साथ ही उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट शैलेश पारीख को भी एक सप्ताह के लिए एसीबी की हिरासत में भेज दिया। चौधरी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन परिसंघ (जीसीएमएमएफ) के अध्यक्ष हैं, जो मशहूर अमूल ब्रांड का स्वामी है। वह मेहसाणा जिला सहकारी दूध उत्पादक यूनियन लिमिटेड के प्रमुख भी रह चुके हैं। इसे दूधसागर डेयरी के नाम से भी जाना जाता है।
एसीबी की मेहसाणा इकाई ने दूधसागर डेयरी के प्रमुख रहने के दौरान करीब 800 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं में शामिल होने के आरोप में बुधवार को चौधरी एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
इस जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि वित्तीय अनियमितताओं के जरिए धन बनाने के अलावा पूर्व मंत्री ने दूधसागर डेयरी का अध्यक्ष रहने के दौरान अपराध की कमाई 31 कंपनियों के बैंक खातों में डालकर मनी लॉन्ड्रिंग भी की थी। ये कंपनियां इसी स्पष्ट उद्देश्य के लिए बनाई गई थीं।
एफआईआर में पत्नी और बेटे का भी नाम
एसीबी के अनुसार विपुल चौधरी की पत्नी गीताबेन और बेटे पवन को भी एफआईआर में सह आरोपी दर्शाया गया है क्योंकि वे उनके द्वारा प्रवर्तित कुछ कंपनियों में निदेशक हैं।
ब्यूरो का कहना है कि चौधरी ने डेयरी का अध्यक्ष रहने के दौरान अपने पद का दुरुपयोग किया और बड़ी संख्या में मिल्क कूलर एवं बोरिया खरीदने में प्रक्रियाओं की अनदेखी की, 485 करोड़ रुपये के निर्माण को मंजूरी दी तथा डेयरी के बाह्य प्रचार अभियान के लिए ठेका देते समय निविदा मार्ग का पालन नहीं किया।
एसीबी ने कहा कि अपनी काली कमाई को वैध दर्शाने के लिए चौधरी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 31 कंपनियां बनाईं और उनमें अपराध से हुई कमाई डाली। चौधरी गुजरात में सहकारिता क्षेत्र के एक जाने माने चेहरे हैं। वह 1996 में शंकर सिंह वाघेला सरकार में गृह मंत्री थे।