खुद के सम्मान को दूसरों का सम्मान जरूरी है: नरेश चंद महाराज
LP Live, Muzaffarnagar: जैन समाज के गुरु सुदर्शन लाल के उत्तराधिकारी सुशिष्य रत्न संघ संचालक नरेश चंद महाराज ने कहा कि यदि आप खुद का सम्मान चाहते है तो इसके लिए दूसरों का सम्मान करना जरूरी है। रिश्तों में आ रही कड़वाहट का सबसे बड़ा कारण यही है कि हम अपने बड़ों का सम्मान करना भूल गए है, जिसका सीधा असर नई पीढ़ी पर पड़ रहा है। इसके लिए जरूरी है कि हमें भगवान श्री राम के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने रिश्तों में कभी किसी तरह का भेदभाव नहीं किया।
नई मंडी स्थित जैन स्थानक सभागार में श्री राम नवमी और समन्वय दिवस पर गुरुवार को प्रवचन की अमृत वर्षा हुई। इस दौरान नरेश चंद महाराज ने बड़ो के सम्मान की दी सीख दी। उन्होंने कहा कि हर कोई अपना सम्मान तो चाहता है, लेकिन दूसरे का सम्मान नहीं करना चाहता है। इसी सोच के चलते हम सब बड़े बुजुर्गों का सम्मान भूल गए है। उन्होंने जैन अनुयायियों से पूछा कि कितने लोग सुबह उठकर अपने माता- पिता को प्रणाम करते है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार कैसे देंगे। अच्छे जीवन के लिए सरलता, उदारता और संतोष का भाव जरूर चाहिए। भगवान श्री राम की महिमा की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान राम को जब राज के बजाए वनवास मिला तो वह प्रसन्न थे, क्योंकि उन्होंने माता कैकेई की इच्छा और पिता दशरथ की आज्ञा को खुशी- खुशी स्वीकार किया था। यही बात उन्होंने महर्षि वाल्मिकी को बताई थी। इसलिए उनके जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। अपने बच्चों को बुराइयों से बचाने और संस्कारी बनाने के लिए इस तरह की धर्म सभा में उनकी भागेदारी बढ़ानी चाहिए। उन्होंने शुक्रवार के प्रवचन को समायिक दिवस के रूप में मनाने की बात कही।
इससे पूर्व नवनीत मुनि महाराज ने कहा कि उत्तर भारत में गुरु सुदर्शन लाल महाराज जैन समाज के प्रेरक है, जिन्होंने हर किसी को अपने साथ जोड़ते हुए प्रेरणा देने का काम किया है। इस दौरान जैन भक्तों ने संघ संचालक गुरू नरेश चंद महाराज, नवनीत मुनि जी महाराज, निपुण मुनि जी महाराज, नीरज मुनि जी महाराज ओर नितिन मुनि जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर संरक्षक मनमोहन जैन, सुरेंद्र जैन, पवन कुमार जैन, दीपक जैन, जोगेंद्र जैन, अनुराग जैन, राजीव जैन, कार्तिक जैन, संदीप जैन, योगेंद्र जैन, एमपी जैन, सज्जन जैन, डीसी जैन आदि मौजूद रहे।
—
-तरुण