राजनीतिहरियाणा

हरियाणा में जल बचाने वाले ‘अमृत क्रांतिकारी मित्र’

‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ में योगदान वालों को दी उपाधि

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण करने वालों से किया संवाद
LP Live, Chandigarh: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक ऑडियो कांफ्रेंस के जरिए प्रदेश में चलाई जा री ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ के लाभार्थियों से संवाद के दौरान कहा कि धरती को जल संकट से बचाने की दिशा में सरकार के उठाए जा रहे कदम में सभी को आगे आना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने प्रदेश में जल संरक्षण में योगदान देने वाले किसानों को अमृत क्रांतिकारी मित्र की उपाधि भी दी।

संवाद के दौरान उन्होंने जागरूक किसानों द्वारा इस योजना को अपनाकर लाखों गैलन पानी बचाने की सराहना की और कहा कि नदियां सूख रही हैं, जिसके कारण हरियाणा में भी भूजल स्तर लगातार गिरने से 36 ब्लॉक डार्क जोन में आ गए हैं। हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने भूजल उपलब्धता की ग्रामवार रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि हमने हरियाणा में ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ का शुभारंभ 6 मई 2020 को किया था। इस योजना में अधिक पानी से उगने वाली धान की फसल के स्थान पर खरीफ सीजन-2020 में कम पानी से उगने वाली फसलें जैसे कि मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां और फल लगाने पर बल दिया है। खरीफ सीजन-2021 में हमने मक्का, कपास, तिलहन, दलहन, प्याज, चारे के साथ-साथ खाली रखी गई कृषि भूमि को भी शामिल किया। खरीफ सीजन-2022 में इनके साथ पॉपलर व सफेदा को शामिल किया गया। इस संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस ढेसी, प्रधान सचिव वी. उमाशंकर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना, लोकसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, उप प्रधान सचिव के. एम पाण्डुरंग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक नरहरि सिंह बांगड़, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती भी उपस्थित थे।

हजारो गांवों में जल संकट
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के कुल 7,287 गांवों में से 3,041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इनमें से 1,948 गांवों में भूजल गंभीर स्तर तक नीचे चला गया है। जल की कमी इसी तरह बढ़ती रही तो अन्न उपजाना तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा और आने वाली पीढ़ियों को भयंकर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को इस योजना के तहत 7,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में सीधे बैंक खातों में दी गई है। पहली किस्त मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर पंजीकरण के समय 2,000 रुपए और दूसरी किस्त फसल पकने पर 5,000 रुपए दी जाती है। हमारा लक्ष्य हर वर्ष धान के रकबे में से 2 लाख 50 हजार हैक्टेयर भूमि पर वैकल्पिक फसलों की बुआई करवाने का है।

सूक्ष्म सिंचाई से गन्ने की खेती
मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के हवा में वाष्पीकरण और भूमि में रिसाव को रोकने के लिए ‘भूमिगत पाइपलाइन स्कीम’ के तहत नालों के स्थान पर पाइप लाइनें बिछाई जाती हैं। इसमें किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़, अधिकतम 60 हजार रुपए प्रति किसान अनुदान राशि दी जा रही है। अब तक 1957 किसानों को 8 करोड़ 34 लाख रुपए की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। अगले 3 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा है। योजना के तहत 600 करोड़ रुपए की लागत से महेंद्रगढ़, चरखी-दादरी, भिवानी और फतेहाबाद जिलों के 9 एसटीपी से उपचारित जल का सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपए लागत की 22 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जो जून 2024 तक पूरी कर ली जाएंगी।

admin

लोकपथ लाइव वेबसाइड एक न्यूज बेवसाइट है। यहां खबरों के साथ देश के प्रतिभाशाली व्यक्तियों का परिचय भी उनकी उपलब्धियों के साथ कराना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। हमारा मकसद आप तक सच्ची खबरें तथ्यों के साथ पहुंचाना है। लोकपथ लाइव पर अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय सहित विभिन्न राज्यों के जिलों और गांव तक की ताजा खबरें पढ़ सकते हैं। - प्रधान संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button