लोकसभा ने 269 मतो स्वीकारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक
विधेयक के विरोध में पड़े 198 मत, जेपीसी के पास जाएगा विधेयक


विधेयक को पारित कराने के लिए चाहिए थे 307 मतों का बहुमत
LP Live, New Delhi: लोकसभा में पेश किये गये ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक को चर्चा के बाद कराई गई वोटिंग के बाद बहुमत के साथ स्वीकार कर लिया गया। विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 198 वोट पड़े। इस विधेयक को लाने का मकसद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है। अब इस विधेयक को जांच पड़ताल के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा।
लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया और इसके उद्देश्य तथा फायदों की जानकारी दी थी। सदन में चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा भी हुआ और विपक्षी दल इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को सौंपने की मांग कर के इसका विरोध कर रहे थे। चर्चा के बाद इस विधेयक को स्वीकार करने के लिए वोटिंग कराई गई, जिसमें इसे पारित कराने के लिए कुल 461 वोटों में से दो-तिहाई बहुमत (यानी, 307) की आवश्यकता थी। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रस्ताव दिया कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए, तो विपक्ष ने इस विधेयक को वापस करने की मांग करना शुरु कर दिया। मसलन ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव दो-तिहाई समर्थन हासिल करने में विफल रहा, इसलिए इसे अब जेपीसी के पास भेजा जाएगा।

पीएम विधेयक को जेपीसी के पास भेजना चाहते थे: अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी सांसदों द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक को वापस लेने की मांग पर कहा कि जब विधेयक कैबिनेट में आया, तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा जाना चाहिए। इस पर आईयूएमएल नेता ई.टी. मोहम्मद बशीर, आरएसपी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने बिल का पुरजोर विरोध करते हुए इसे जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की।
एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक वापस ले सरकार: कांग्रेस
क्या है विधेयक में प्रमुख प्रावधान
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक के प्रावधानों में कहा गया है कि यदि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग हो जाती है, तो ऐसे में उस विधानसभा के शेष 5 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने के लिए ही मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे। विधेयक में अनुच्छेद 82(ए) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव इसमें दिया गया है।
