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लोकसभा चुनाव: रायबरेली में राहुल के लिए आसान नहीं मां की विरासत संजोना!

बढ़ते वोटग्राफ के सहारे कांग्रेस के सियासी गढ़ में चुनौती देगी भाजपा

LP Live, New Delhi: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में नेहरु गांधी परिवार का गढ़ रही रायबरेली लोकसभा सीट पर मां सोनिया गांधी ने अपनी जगह बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस की तरफ से चुनाव मैदान में उतारा है, जिसके खिलाफ भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस की दिग्गज सोनियां गांधी को चुनौती दी थी और महज 1.60 लाख मतों से हारे थे, लेकिन कांग्रेस के वोट बैंक को कम करके भाजपा का वोटग्राफ बढ़ाने में सफल रहे। दरअसल पिछले तीन चुनाव से इस सीट पर लगातार बढ़ते वोट बैंक की दृष्टि से यहां भाजपा को जीतने की संभावनाएं बढ़ी हैं। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के सीधे मुकाबले में यहां पहली बार चुनाव लड़ने उतरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए मां सोनिया गांधी द्वारा सौंपी गई सियासी विरासत को संजोना इतना आसान नहीं है, जिसके लिए कांग्रेस ने दांव खेला है।

उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट नेहरु-गांधी परिवार का सियासी गढ़ माना जाता है, जहां से फिरोजगांधी, इंदिरा गांधी, अरुण नेहरु के बाद पिछले पांच चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची सोनियां गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं, जो राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो चुकी है, लेकिन इस मां सोनिया गांधी की सियासी विरासत को संजोने के इरादे से बेटे राहुल गांधी ने यहां चुनावी जंग लड़ने का फैसला किया है। जबकि साल 2019 में यहां से सोनिया गांधी से हार चुके दिनेश प्रताप सिंह भाजपा के टिकट पर एक बार फिर हार का बदला चुकता करने के लिए कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। इस सीट पर 20 मई को पांचवे चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव में आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा रायबरेली
यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट पर 20 चुनावों में 17 बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है और भाजपा को दो तथा एक बार जनता दल की झोली में जीत दर्ज हुई। आजदी के बाद पहले दो चुनाव में कांग्रेस के फिरोज गांधी ने जीते, जिनके निधन के बाद 1960 का उपचुनाव कांग्रेस प्रत्याशी आरपी सिंह के पक्ष में गया। इसके बाद 1962 का चुनाव कांग्रेस के बैजनाथ कुरील ने जीता। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने 1967 व 1971 के दो चुनावों में लगातार जीत हासिल की, लेकिन आपातकाल में चली कांग्रेस विरोधी लहर में यहां से जनता पार्टी के राजनारायण के सामने इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1980 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने फिर वापसी की, लेकिन उन्होंने दूसरी सीट से जीत की वजह से इस सीट को छोड़ दिया, जिसके उपचुनाव और फिर 1984 के चुनाव में कांग्रेस के अरुण नेहरु यहां से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद अगले दो चुनाव में कांग्रेस की शीला कौल यहां से जीतकर लोकसभा पहुंची। 1996 और 1998 के चुनाव में यहां से भाजपा के अशोक सिंह ने चुनाव जीता। इसके बाद 1999 में कांग्रेस ने फिर वापसी करते सतीश शर्मा को सांसद बनवाया। कांग्रेस के विजय अभियान को जारी रखते हुए साल 2004 से यहां सोनिया गांधी ने इस विरासत को आगे बढ़ाया और एक उपचुनाव समेत लगातार पांच चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची।

भाजपा ने लगातार बढ़ावा वोट बैंक
भाजपा को इस बार रायबरेली सीट से जीत का पूरा भरोसा है। इसकी वजह ये है कि इस सीट पर 2009 में सोनिया गांधी को 72.23 प्रतिशत मिले थे, तो भाजपा को 3.82 प्रतशत वोट मिला और यह अंतर 68.41 प्रतिशत का था। जबकि 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को घटकर 63.80 प्रतिशत वोट और भाजपा को 21.05 प्रतिशत वोट मिले यानी पांच साल में भाजपा का 17.23 प्रतिशत वोट बढ़ा। जबकि साल 2019 में निर्वाचित होने के बावजूद सोनिया गांधी को वोट प्रतिशत और घटकर 55.78 प्रतिशत रह गया और भाजपा का बढ़कर 38.35 प्रतिशत हो गया। यहां भी भाजपा के वोट शेयर में 17.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस व भाजपा की हारजीत का अंतर भी महज 17.43 फीसदी था। इसलिए भाजपा ने इस सीट पर अंतर को पाटने के लिए पहले से ऐसी रणनीति बनाई है, ताकि इस सीट पर जीत हासिल हो सके।

सीट पर 17,84,314 मतदाता करेंगे वोटिंग
रायबरेली लोकसभा सीटों पर 17,84,314 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना है, जिसमें 9,31,427 पुरुष, 8,52,851 महिला और 36 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। इस लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल है, जिनमें बछरावां(सु) सीट पर 3,46,856,हरचंदपुर में 3,28,019, रायबरेली में 3,81,521, सरेनी में 378,547 और ऊंचाहार सीट पर 3,49,371 मतदाता हैं। लोकसभा के चुनाव में रायबरेली सीट पर 18-19 साल आयु के 28,197 नए युवा मतदाता पहली बार वोटिंग करेंगे, जिनमें 13,253 महिला वोटर शामिल हैं। रायबरेली लोकसभा सीट के लिए 20 मई को 1236 मतदान केंद्रों के 1867 बूथों पर मतदान किया जाएगा।

क्या है जातीय समीकरण
रायबरेली लोकसभा की करीब 34 लाख की आबादी में यदि जातीय और सामाजिक समीकरणों पर नजर डालें तो यहां 29 लाख से अधिक हिंदू और 4.13 लाख यानी 12.13 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है। हिंदुओं की आबादी में सबसे ज्यादा 34 प्रतिश दलित और करीब 26 फीसदी पासी हैं। इसके बाद 11 फीसदी ब्राह्मण, 12 फीसदी यादव, 6 फीसदी लोध, 5 फीसदी राजपूत, 4 फीसदी कुर्मी और बाकी अन्य जातियां हैं।

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