लोकसभा चुनाव: क्या वाराणसी में जीत की हैट्रिक बना पाएंगे पीएम मोदी!
इंडी गठबंधन से हार की हैट्रिक बना चुके कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय फिर देंगे चुनौती


वाराणसी सीट पर आज तक सपा व बसपा नहीं खोल पाई अपना खाता
LP Live, New Delhi: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में एक जून को होने वाले चुनाव में यूपी की वाराणसी लोकसभा सभा सीट देशभर में सबसे बड़ी हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने के लिए इंडी गठबंधन की ओर से एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को प्रत्याशी बनाया गया है, जो इस सीट पर अपनी हार की हैट्रिक बनाने के बाद चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी जंग में उतरे कांग्रेस के अजय राय अभी तक इस सीट पर अपने तीनों चुनाव में तीसरे स्थान से आगे नहीं जा सके हैं। जबकि बहुजन समाज पार्टी ने भी जातीय समीकरण के आधार पर यहां अथर जमाल लारी को प्रत्याशी बनाया है। मसलन इस सीट पर पीएम मोदी की जीत की हैट्रिक को रोकने के इरादे से उनके खिलाफ छह प्रत्याशियों ने ताल ठोकी है, जिनमें दो निर्दलीय भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतरे पीएम मोदी उन प्रधानमंत्रियों की श्रेणी में शामिल हो गये हैं, जो एक ही सीट से लगातार तीन बार चुनाव लड़े हैं। उनसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और इंदिरागांधी ही एक ही सीट से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़े हैं। यह भी गौरतलब है कि वाराणसी सीट पर अभी तक हुए चुनाव में सपा व बसपा दूसरे स्थान तक तो पहुंची, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सकी है। वाराणसी लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभाएं रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी आती है, जिनमें चार पर भाजपा और एक सीट पर राजग घटक के अपना दल(सोनेला) का विधायक काबिज है। यानी राजग के गढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इंडी गठबंधन या अन्य किसी दल के प्रत्याशियों के लिए चुनौती देना आसान नहीं लगता। हालांकि इस सीट की चुनावी तस्वीर तो मतदान के बाद नतीजे आने के बाद तय होगा, कि यहां पीएम मोदी अपनी जीत की हैट्रिक पूरी करते हैं या अन्य कोई दल इस चुनावी जंग को जीतेगा? लेकिन यह तो तय है कि भाजपा की रणनीति यहां इतनी मजबूत है कि जिसके सामने इस सियासी जंग में कांग्रेस या अन्य प्रत्याशी उन्हें टक्कर दे सके। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा चुनावी मुकाबला होने के आसार बने हुए हैं। इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस व सपा के अलावा अपना दल(कमेरावादी) के गगन यादव और युग तुलसी पार्टी के शिवकुमार के अलावा दो निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कुमार यादव व संजय तिवारी अपनी किस्मत आजमा रहे है, जिनके सामने 19,97,578 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की दरकार होगी।

पूर्व पीएम चन्द्रशेखर भी यहां से बने सांसद
उत्तर प्रदेश की इस सीट से पीएम मोदी के अलावा पूर्व पीएम चन्द्रशेखर और कांग्रेस के कमलापति भी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। अभी तक वाराणसी लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने 7-7 बार जीत दर्ज की है। इनके अलावा जनता पार्टी, जनता दल और सीपीआई(एम) के एक-एक प्रत्याशी भी यहां जीत का स्वाद चख चुके हैं। यहां पहले तीन चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीत हासिल की, जिसमें पहले चुनाव में दो लोकसभा सदस्य चुने गये थे। जबकि 1967 के चुनाव में यहां सीपीआई(एम) के सत्यनारायण सिंह ने जीते, लेकिन 1971 में यहां फिर से राजाराम शास्त्री ने कांग्रेस की वापसी कराई। साल 1977 का चुनाव जनता पार्टी के प्रत्याशी के रुप में चन्द्रशेखर ने जीत दर्ज की तो 1980 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी और 1984 में श्यामलाल यादव ने विजय पताका फहराया। साल 1989 का चुनाव यहां पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के सुपुत्र अनिल शास्त्री ने जनता दल के प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता था। इसके बाद यहां भाजपा ने अपनी जीत का सिलसिला शुरु किया और 1991 से 2019 तक आठ चुनाव में सात बार भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है, केवल बीच में 2004 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी ने जीता था। भाजपा की जीत में लगातार तीन चुनाव जीतकर भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने हैट्रिक भी बनाई है। जबकि एक-एक बार भाजपा के श्रीचंद दीक्षित और मुरली मनोहर जोशी ने जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी के रुप में नरेन्द्र मोदी ने लगातार दो जीत दर्ज कर पीएम पद संभाला है।
बनारस ऐसे बना भाजपा का गढ़
यूपी की वाराणसी सीट पर यदि साल 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां भाजपा के डा. मुरली मनोहर जोशी 30.52 फीसदी वोट लेकर लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में नरेन्द्र मोदी इस सीट से 56.37 फीसदी वोट लेकर निर्वाचित हुए, जो 2009 के चुनाव में मिले वोट शेयर से 25.85 फीसदी ज्यादा था। पिछले चुनाव में पीएम मोदी वाराणसी सीट से दूसरी बार 63.62 फीसदी वोट लेकर चुनाव जीते। साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने आये तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें चुनौती देने का प्रयास किया, लेकिन हारकर वापस दिल्ली लौटना पड़ा। जबकि कांग्रेस के अजय राय भी पीएम मोदी के खिलाफ तीसरे स्थान से आगे नहीं बढ़ सके, जो मोदी को चुनौती देने के लिए फिर चुनावी जंग में हैं। अजय राय 2009 के चुनाव में भी सपा प्रत्याशी के रुप में तीसरे स्थान पर रहे थे।
युवा मतदाताओं की अहम भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में इस बार 19,62,948 मतदाता वोटिंग करेंगे, जिनमें 10,65,485 पुरुष, 8,97,328 महिला और 135थर्ड जेंडर मतदाता शामिल है। इस सीट पर 18-19 आयु वर्ग के 31,538 नए युवा मतदाता पहली बार मतदान प्रक्रिया के हिस्सेदार बनेंगे। इस सीट पर 25,984 मतदाता 80 साल या उससे अधिक है। इस लोकसभा क्षेत्र में एक जून को मतदान कराने के लिए 1909 मतदान स्थल बनाए गये हैं।
क्या है जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा ओबीसी मतदाताओं में सबसे ज्यादा करीब दो लोख कुर्मी, जिनकी संख्या इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों रोहनिया और सेवापुरी में सबसे ज्यादा है। जबकि एक लाख से ज्यादा यादव, दो लाख से ज्यादा वैश्य, ब्राह्मण, कायस्थ आदि स्वर्ण जातियों के मतदाता हैं। वहीं करीब डेढ़ लाख भूमिहार के अलावा करीब एक लाख दलित और तीन लाख के आसपास मुस्लिम मतदाता भी हैं।
विस वार मतदाताओं की संख्या
विस पुरुष महिला थर्डजेंडर कुल मतदाता
रोहनिया 2,26,220 1,86,365 27 4,12,612
सेवापुरी 1,91,259 1,63,034 20 3,54,323
शहर उत्तरी 2,34,182 1,96,826 43 4,31,051
शहर दक्षिणी 1,70,068, 1,41,118 27 3,11,213
वाराणसी कैंट 2,43,746 2,09,985 18 4,53,749
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कुल 10,65,485 8,97,328 135 1962948
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