

संसद में देश के सबसे वंचित समूह के सदस्यों को बुलाने की अनूठी पहल
LP Live, New Delhi: देश के सबसे वंचित जनजातीय समूह को सामाज की मुख्यधारा में लाने और उन्हें आर्थिक रुप से प्रोत्साहन की योजनाओं की वजह से आज जनजातीय समूह की कला और शिल्प के साथ उनके उत्पादों की विश्वभर में मांग बढ़ी है। प्रकृति के अनुरुप जीवनशैली वाले जनजातीय समूह को संसद भवन का भ्रमण कराया गया, जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें संबोधित किया।
संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में सोमवार को संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से कमजोर एवं वंचित समाज के जनजातीय समूहों के सदस्यों को आमंत्रित किया गया। इस अनूठी पहल के लिए जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता के अलावा अन्य आदिवासी नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस कार्यक्रम में आदिवासी समूह के लोगों को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि प्रकृति, परंपरा और संस्कृति के ज्ञान की जनजातीय विरासत का जिक्र करते हुए ध्यान दिलाया कि प्राचीन काल से ही वनवासियों ने प्रकृति के साथ तालमेल से रहने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों और विशेष रूप से जनजातीय समुदाय की जीवन शैली हमेशा प्रकृति के अनुरूप रही है और आधुनिक दुनिया को उनसे बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पीवीटीजी मिशन के अंतर्गत इस समूह के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अगले तीन वर्षों में 15 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने वन उपज के साथ-साथ आदिवासी लोगों की कला और शिल्प की भी बात की, जिसके अनूठेपन के कारण इनकी मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है। बिरला ने यह भी कहा कि इससे इन परंपराओं को जीवित रखा जा सकेगा और साथ ही ऐसे समूहों के बारे में जानकारी का प्रसार करने में मदद मिलेगी। बिरला ने कहा कि इसके माध्यम से पीवीटीजी अपने पारंपरिक मूल्यों और शिल्प को भी संरक्षित कर सकते हैं।

लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक केंद्रीय कक्ष
आधुनिक भारत के इतिहास में केन्द्रीय कक्ष उन सभी लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है जो संविधान से सभी देशवासियों को प्राप्त हुए हैं। केन्द्रीय कक्ष भारत की आजादी का गवाह था और यहीं पर संविधान निर्माताओं ने सभी भारतीयों को समानता, न्याय और स्वतंत्रता की गारंटी दी थी। पिछड़ेपन को दूर करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसे संविधान में शामिल किया। इस संदर्भ में बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि सभी वर्गों को समान अधिकार और स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक समानता प्रदान की जानी चाहिए। बिरला ने भेदभाव का सामना करने वाले आदिवासी लोगों को विशेष सुरक्षा प्रदान करने के लिए संविधान सभा की सराहना की। बिरला ने विभिन्न समूहों के लोगों के साथ भी बातचीत की। पीवीटीजी समूह अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, असम, तेलंगाना, मणिपुर, झारखंड आदि राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से आए थे।
