
प्रदेश के 907 स्कूलों में एक शौचालय में जाने को मजबूर लड़के व लड़कियां
LP Live, New Delhi: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय की कमी का मामला मानवाधिकार आयोग के बाद संसद तक पहुंचा और राज्यसभा में इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी। स्कूलों में शौचालयों की कमी की पुष्टि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की जारी एक रिपोर्ट में भी की गई है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा सरकार के प्रयासों के बावजूद प्रदेश में अभी भी 185 ऐसे स्कूल है, जहां पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा 907 स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर लड़के और लड़कियों के लिए एक ही शौचालय का प्रयोग करने की मजबूरी है। राज्य सरकार के भरसक प्रयासों के बाद भी शौचालयों की कमी और निरीक्षण के दौरान इनमें साफ सफाई की बदहाल व्यवस्था को लेकर आला अधिकारी बगले झांकने को मजबूर है। दरअसल सरकारी स्कूलों में शौचालय की कमी का यह मामला पहले मानवाधिकार आयोग में गया था, जिसे लेकर आयोग ने सरकार से जवाब भी मांग लिया था। आयोग में जवाब तलबी के बावजूद सुधार की मुहिम की औपचारिकता हुई।
दूषित पानी पीने को मजबूर विद्यार्थी
राज्यसभा में उठाए गये इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्रालय ने बताया कि हरियाणा के 2,651 स्कूलों में विद्यार्थियों को मजबूरी में दूषित पानी पीना पड़ रहा है। जहां पाइपलाइन के जरिए नलों से पानी की आपूर्ति हो रही है। सूबे में 54 स्कूल ऐसे भी हैं, जहां पर पीने के पानी की सुविधा नहीं है। हरियाणा का नुहू जिला ऐसा है, जहां के 942 सरकारी स्कूलों में 493 स्कूलों के अंदर ही नल के पानी की व्यवस्था है, जबकि यहां के 29 स्कूलों के अंदर पेयजल सुविधा नहीं है। हरियाणा के मुकाबले हिमाचल के अंदर स्थिति और ज्यादा खराब है।
देशभर में चला शौचालय निर्माण अभियान
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के दौरान समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूरे देश के अंदर केंद्र सरकार द्वारा 53,323 शौचालयों का निर्माण और 1,344 की मरम्मत कराने का काम कराया गया था। कुल मिलाकर इस मामले में कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और संस्थाएं इन स्कूलों की दिशा और दशा सुधार के काम भी सहयोग करने को भी तैयार हैं। राज्यसभा में रिपोर्ट आने के बाद सरकार के आला अफसरों ने भी इस पर गंभीरता के साथ विचार करने और स्कूलों के अंदर शौचालयों को लेकर ताजा रिपोर्ट मंगाने का फैसला लिया है।
