
LP Live, Haridwar: केंद्र सरकार और पतंजलि ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए गंगा बेसिन क्षेत्र में प्राकृतिक खेती करने पर बल दिया है। गंगा बेसिन क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि के लिए पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इन्स्ट्रीटयूट तथा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के बीच इस संबन्ध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
गंगा बेसिन क्षेत्र में पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इन्स्ट्रीटयूट तथा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के संयुक्त तत्वाधन में आयोजित गंगा बेसिन क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि का कार्यक्रम में योगगुरु स्वामी रामदेव, बालकृष्ण ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और ‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक अशोक कुमार ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पतंजलि अनुसन्धान केन्द्र एवं नेशनल मिशन ऑफ क्लीन गंगा इन दोनों के बीच में जो एमओयू का करार हुआ है, यह इतिहासिक अवसर है। पतंजलि योगपीठ एक दिव्य धाम है जिसे अपने साधना, तपस्या एवं विकल्परहित संकल्प से संम्पूर्ण विश्व का आर्कषण एवं प्रेरणा केन्द्र बनाकर पूज्य स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण ने संसार में योग और आयुर्वेद को प्रतिष्ठित किया हैं। पतंजलि अनुसन्धान संस्थान, हर्बल गार्डन सबसे बड़ा फूड पार्क, योगग्राम, पतंजलि वेलनेस, आयुर्वेदिक अस्पताल, शैक्षिक संस्थान और पतंजलि से जुड़ी हर चीज को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस मौके पर ‘नेचुरल फार्मिंग इन गंगा बेसिन क्षेत्र (संभावित और समाधान)’ नामक किताब का विमोचन किया। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव जी ने कहा कि आर्थिक गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर, आत्मनिर्भरता का नया इतिहास लिखा है और इस देश को आर्थिक गुलामी के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा की गुलामी से बाहर निकालने का काम पतंजलि द्वारा किया गया है। जबकि आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज दुनियाभर में 3.60 लाख के आसपास वनस्पति पाई जाती हैं। जबकि भारत में करीब 20 हजार वनस्पति पाई जाती है। वहीं गंगा के किनारों पर वनस्पति की हजारों प्रजातियां मौजूद है। पतंजलि ने पिछले 20 वर्षों में कई वनस्पतियों की खोज की और उनका नामकरण किया है, जिसे वैश्विक स्तर पर भी स्वीकार किया जाता है।
