सम्मेलन में पीठासीन अधिकारियों ने पारित किये नौ संकल्प
LP Live, Jaipur: अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह, भागीदारीपूर्ण और सार्थक बनाने के लिए नौ संकल्प पारित किए गए। वहीं संसद और विधानमंडलों में भूमिका को ठोस लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं को सुस्थापित करने की भूमिका को और ज्यादा सार्थक बनाने पर भी बल दिया गया।
जयपुर में राजस्थान विधानसभा में संपन्न हुए दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन में अपने समापन भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस सम्मेलन में विधायी निकायों में ठोस लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं को सुस्थापित करने और विभिन्न विधान मंडलों में परस्पर सर्वश्रेष्ठ अनुभव साझा किये। इस भूमिका को और सार्थक बनाने की दिशा में सम्मेलन में लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह, भागीदारीपूर्ण और सार्थक बनाने के लिए नौ संकल्प पारित किए गए। बिरला ने यह भी कहा कि आजादी के अमृत काल में जहां देश में व्यापक परिवर्तन आ रहे हैं, वहीं विधान मंडलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गयी है। विधायी निकायों में सार्थक, अनुशासित और लाभप्रद चर्चा पर जोर दिया। उन्होंने विधानमंडलों में चर्चा के दौरान, विशेष रूप से प्रश्न काल के दौरान सदन की कार्यवाही निर्बाध रूप से चलाने के लिए सदन में मर्यादा और शालीनता बनाए रखने तथा सदन की बैठकों की संख्या में वृद्धि पर बल दिया।
संसदीय समितियों की अहम भूमिका
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने संसदीय समितियों को और मजबूत करने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि संसदीय समितियों में दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करने की उत्कृष्ट परंपरा है। इन संसदीय समितियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि ये समितियां अपने सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की रचनात्मक समीक्षा करके कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करें। भारत की जी20 की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि यह दुनिया को भारत के लोकतंत्र के बारे में बताने का अवसर है। जी20 तथा इन देशों की संसदों के अध्यक्षों का पी20 सम्मेलन हमारे लिए मात्र एक राजनयिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि इसमें जन-जन की भागीदारी होगी।
सदन में हो सार्थक चर्चा: हरिवंश
राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि भारतीय संसद विधायी कार्य उत्पादकता में वृद्धि के लिए संस्थागत सुधार करने के प्रयासों में हमेशा सदैव अग्रणी रही है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से विधायी कार्यों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और सदन में उत्पादक और सार्थक चर्चा करने का आग्रह किया। हरिवंश ने कहा कि विधायकों के क्षमता निर्माण से सदन में उपयोगी चर्चा होगी। उन्होंने भी भारत की जी-20 की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे देश को अपनी आर्थिक शक्ति और सांस्कृतिक ताकत दिखाने का एक अनूठा अवसर मिलेगा। इससे मानवता के समक्ष आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक वार्ताओं को पुनर्संतुलित करने में भी मदद मिलेगी।
पीठासीन अधिकारी नियमों के व्याख्याकार: कलराज मिश्र
सम्मेलन में समापन पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने पीठासीन अधिकारियों को सदन के नियमों का अंतिम व्याख्याकार बताते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दृष्टि से ऐसे सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि विधायी संस्थाओं को इस चर्चा के परिणामस्वरूप निकले निष्कर्षों को अपने कार्यव्यवहार में लागू करना चाहिए। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जनहित में संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का आह्वान करते हुए हुए कहा कि सदन में बहुमत विधेयक पारित करने का एकमात्र आधार नहीं होना चाहिए, बल्कि जनहित और स्वस्थ बहस ही इसका मुख्य आधार होना चाहिए। संसदीय प्रणाली में राज्यपाल की भूमिका का उल्लेख करते हुए मिश्र ने कहा कि राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक संवैधानिक संस्था है और विधान सभा विधान की गंगोत्री है।
संकल्प के दूरगामी प्रभाव होंगे: अशोक गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पारित संकल्पों और निर्णयों के दूरगामी प्रभाव होंगे। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभाओं को वित्तीय स्वायत्तता देने के विचार की सराहना की। गहलोत ने कहा कि ऐसे सम्मेलनों के परिणामस्वरूप सभी हितधारकों को नवाचारों का लाभ मिलता है, जिसका जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कल्याणकारी उपायों के बारे में विचार व्यक्त करते हुए गहलोत ने विशेष रूप से स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में अधिकार आधारित विकास योजनाओं का समर्थन किया ।
विधायिकाओं को वित्तीय स्वायत्तता मिले: सीपी जोशी
राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति और लोक सभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इस बात पर जोर देते हुए कि वित्तीय स्वायत्तता के बिना, विधायिकाएं कुशलता से कार्य नहीं कर सकतीं। डॉ. जोशी ने सुझाव दिया कि विधायिकाओं को वित्तीय स्वायत्तता देने के लिए उपाय किए जाने की आवश्यकता है, ताकि यह कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सके। राजस्थान विधान सभा की गौरवशाली परंपरा का उल्लेख करते हुए डॉ. जोशी ने आशा व्यक्त की कि जनप्रतिनिधि अपने आचरण से न केवल इस स्तर को बनाए रखेंगे बल्कि इसे और बढ़ाएंगे।
सम्मेलन ने पारित किये ये नौ संकल्प
सम्मेलन में जी-20 में लोकतंत्र की जननी भारत का नेतृत्व, संसद और विधानमंडलों को अधिक प्रभावी, जवाबदेह और उपयोगी बनाने की आवश्यकता और डिजिटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों को जोड़ना और संविधान के आदर्शों के अनुरूप विधायिका और न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता की दिशा में भारत की जी20 अध्यक्षता, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में आस्था, आदर्श समरूप नियम प्रक्रियाएं, विधानमंडलों की सभाओं में व्यवधान, समितियों की भूमिका और कार्यपालिका के कार्य की समीक्षा, राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन मंध वित्तीय स्वायत्तता, राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड, उत्कृष्ट विधायिका पुरस्कार तथा समाज के सभी वर्गों को संवैधानिक प्रावधानों तथा विधायी नियमों और प्रक्रियाओं की शिक्षा जैसे नौ संकल्पों पर भी मुहर लगाई गई।