

अदालत ने 46 साल पुराने फैसले को पलटकर दी सार्वजनिक राहत
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि सरकार हर निजी संपत्ति पर अपना दावा नहीं कर सकती और न ही उसे ले सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला निजी संपत्ति पर सरकार के अधिकार को लेकर सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 जजों की बेंच के मामले में बहुमत से अपना फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि संविधान द्वारा नागरिकों के संपत्ति अधिकार की रक्षा की गई है। इसलिए सरकार हर निजी संपत्ति को नहीं ले सकती है। पिछले कई सालों में लंबित मामलों और संपत्ति विवादों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि हर निजी संपत्ति पर सरकार अपना दावा नहीं कर सकती और न ही उसका इस्तेमाल कर सकती है। अदालत ने बहुमत के जरिए अपने फैसले में यह व्यवस्था दी है कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है, राज्य उन संसाधनों पर दावा कर सकता है जो सार्वजनिक हित के लिए हैं और समुदाय के पास हैं। अदालत ने वहीं बहुमत से जस्टिस कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसके पिछले फैसले में कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है।

46 साल के फैसले का पलटा
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कुछ फैसले इस मामले में गलत हैं कि व्यक्ति के सभी निजी संसाधन समुदाय के भौतिक संसाधन हैं। कोर्ट की भूमिका आर्थिक नीति निर्धारित करना नहीं, बल्कि आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने की सुविधा प्रदान करना है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया, जिसमें समाजवादी थीम को अपनाया गया था और फैसला सुनाया गया था कि राज्य आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने अधीन कर सकते हैं।
