हरियाणा सरकार तीन तथा केंद्र सरकार चार प्रतिशत वहन करती है ब्याज सब्सिडी
LP Live, Chandigarh: हरियाणा की सरकार ने कृषि सहकारी समितियों से ऋण लेने पर ब्याज न लेने वाली नीति में कोई बदलाव नहीं किया और किसानों के लिए सरकार की प्राथमिकता की प्राथमिक सहकारी समितियों से किसानों को ब्याजमुक्त ऋण मुहैया कराना है। इस ब्याज के खर्च को तीन प्रतिशत प्रदेश और चार प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करती है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सहकारी समितियों से किसानों को ऋण देने की नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ब्याजमुक्त ऋण किसानों को समितियों से मिलता रहेगा। इस नीति को इसलिए स्पष्ट किया गया है कि कुछ किसानों ने सहकारी समितियों में ऋण का भुगतान ब्याज के साथ किया है। सरकार ने समितियों को ऐसे किसानों के ब्याज की राशि को उनके खातों में वापस जमा कराने को कहा है, क्योंकि सरकार ने किसानों से ब्याज लेने जैसा कोई फैसला जारी नहीं किया है। इस संबन्ध में प्रदेश सरकार की ओर से जारी पैक्स प्रपत्र में निर्देश दिये गये हैं कि सरकार द्वारा किसानों से ब्याज लेने की का निर्णय फिलहाल नहीं लिया गया है इसलिए जिन किसानों ने ऋण और ब्याज की राशि जमा करवाई है। उन्हें ब्याज की राशि उनके खातों में वापस कर दी जाए। गौरतलब है कि पैक्स द्वारा किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जाता है और उसे ऋण पर जो ब्याज बनता है उसका 4 प्रतिशत हरियाणा सरकार और 3 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करती है।
बारह लाख किसानों को मदद
हरियाणा में 751 सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश के 12 लाख किसानों को ऋण दिया गया है, जिनमें से क़रीब छह लाख किसान समय पर लेन देन कर रहे हैं। किसानों को दिए गए इस ऋण पर प्रदेश सरकार ब्याज नहीं लेती है, बल्कि यह ब्याज मुक्त ऋण होता है। इन समितियों में कुछ किसानों ने इस बार ऋण के साथ ब्याज की राशि भी बैंकों में जमा करवा दी थी, जिनके ब्याज को वापस उनके खाते में भेजने के निर्देश दिये गये हैं। सरकार के अनुसार कृषि सहकारी समितियों के जरिए प्रदेश के किसानों को डेढ़ लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है और हर साल समितियां किसानों को लगभग छह हज़ार करोड़ रुपए का ऋण प्रदान कराती हैं। समितियों द्वारा न केवल किसानों बल्कि ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले काश्तकारों को भी ऋण उपलब्ध कराया जाता है।