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संसद से मिली वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी

राज्यसभा में भी देर रात बहुमत से पारित हुआ बिल

अब कोई भी जमीन घोषित नहीं हो सकेगी वक्फ की संपत्ति
LP Live, New Delhi: लोकसभा में पारित होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में दोपहर एक बजे पेश किये गये वक्फ संशोधन विधेयक पर दस घंटे से ज्यादा हुई चर्चा के बाद आधी रात में मुहर लगा दी गई। इस प्रकार संसद से मंजूरी मिलने के बाद अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा, जहां से मुहर लगने के बाद अधिसूचना के साथ इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।

लोकसभा से बुधवार की रात में मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2025 गुरुवार को राज्सभा में पेश किया गया। उच्च सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच गरमा-गर्म चर्चा हुई। यह चर्चा आधी रात एक बजे तक चली। चर्चा के बाद राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 रात्रि ढाई बजे पारित कर दिया गया। विधेयक के पक्ष 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। उच्च सदन से पारित होते ही इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। लोकसभा एक दिन पहले ही इसे मंजूरी दे चुकी थी। बिल पारित होने से पहले उच्च सदन में विपक्ष की ओर से पेश किये गये तमाम संशोधन गिरते नजर आए। तमिलनाडु से डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के एक संशोधन पर मत विभाजन हुआ, लेकिन वह भी 128 के मुकाबले 92 से धाराशाही होकर गिर गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने के लिए यह विधेयक लाई है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को डराने और गुमराह करने का काम विपक्ष कर रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि विधेयक से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा।

विपक्ष पर भारी पड़ा सत्ता पक्ष
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार की अग्नि परीक्षा मानी जा रही थी, जहां मौजूदा 236 सदस्यों में से विधेयक को पास कराने के लिए 119 सदस्यों का समर्थन चाहिए था। इसमें भाजपा के 98 सांसद हैं। जबकि गठबंधन दलों के मिलाकर यह संख्या 115 तक पहुंचती है। राज्यसभा में 6 मनोनीत सांसद हैं, जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में ही मतदान करते हैं। इस प्रकार यह संख्या 121 होती है, जिसके आधार पर विधेयक पारित होने की संभावना थी, लेकिन एनवक्त पर बीजद ने भी अपने मन से वोटिंग करने का ऐलान करके इसके लिए रास्ता आसान कर दिया।

विपक्ष की रणनीति को झटका
इस विधेयक ने विपक्ष के मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति को नई चुनौती दे दी है। विपक्ष लगातार मुस्लिम समुदाय के नाम पर राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश करता आया है, लेकिन इस विधेयक ने यह संदेश दिया कि मुस्लिम समुदाय के हितों में बदलाव करना उनके खिलाफ जाने के बराबर नहीं है। भाजपा ने यह दिखाया कि विपक्ष का यह डराने वाला नैरेटिव अब काम नहीं करेगा। इससे विपक्ष के अंदर नया असमंजस पैदा हो सकता है। जिससे मोदी सरकार को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

क्या हैं वक्फ़ विधेयक के प्रावधान
केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 में महिलाओं, विधवाओं और अनाथ के अधिकार का पूरा ख्याल रखा है। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन वक्फ करना चाहता है, तो उसमें विधवा या तलाश शुदा महिला या यतीम बच्चों के अधिकार वाली संपत्ति को वक्फ नहीं किया जा सकेगा। वक्फ संशोशन अधिनियम 2025 जब कानून का रूप ले लेगा, तो उसका नाम ‘उम्मीद’ (UMEED) होगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि इस विधेयक के पारित होने के बाद लागू होने वाले कानून को नया नाम ‘उम्मीद’ (Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency and Development) अधिनियम दिया गया है। विधेयक के प्रावधान के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति तभी वक्फ को दान कर सकता है, जब वह कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन कर रहा हो। वहीं राष्ट्रीय संपत्ति या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत आने वाले स्मारकों या जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। वक्फ के लिए दान की जाने वाली संपत्ति पर दानकर्ता का स्वामित्व होना अनिवार्य है। बिना रजिस्टर्ड या विवादित संपत्ति वक्फ में नहीं दी जा सकेगी।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी
केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 सदस्य होंगे। इसमें चार से अधिक सदस्य गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इसमें तीन संसद सदस्य (सांसद) होंगे, 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय के होंगे, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के दो पूर्व न्यायाधीश, राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एक अधिवक्ता, विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त चार व्यक्ति, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव होंगे। इनमें मुस्लिम समुदाय के जो 10 सदस्य होंगे उनमें दो महिलाएं होना जरूरी है।
राज्य वक्फ़ बोर्ड में 11 सदस्य: राज्य वक्फ बोर्ड में 11 सदस्य होंगे। इनमें तीन से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे जिनमें से एक पदेन सदस्य होगा। एक अध्यक्ष होगा, एक सांसद, एक विधायक, 4 मुस्लिम समुदाय के सदस्य, पेशेवर अनुभव वाले दो सदस्य, बार काउंसिल का एक सदस्य, राज्य सरकार का संयुक्त सचिव शामिल होगा। मुस्लिम समुदाय के चार सदस्यों में से दो महिलाएं होंगी।

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