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भारत ने लोकतांत्रिक सुदृढीकरण हेतु उठाए गए अहम कदम: हरिवंश

आईपीयू की 150वीं सभा में बोले राज्य सभा के उपसभापति व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

हरिवंश व बिरला ने भी कई देशों के साथ की द्विपक्षीय बैठकें
LP Live, New Delhi: राज्य सभा के उपसभापति ने भारत सरकार द्वारा जवाबदेही को बेहतर बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त करने हेतु उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया। सम्मेलन के दौरान उपसभापति और लोक सभा अध्यक्ष ने आर्मेनिया, कज़ाख़िस्तान, उज्बेकिस्तान सहित अन्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।

ताशकंद में आयोजित अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 150वीं सभा के दौरान अपने संबोधन में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि हमारी सरकार ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण, तस्करी, और हिंसा के विरुद्ध एक व्यापक रणनीति लागू की है, जिसके अंतर्गत द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इन मुद्दों से निपटने के लिए बहुपक्षीय पहलों में भागीदारी की गई है। भारत ने सशक्त संसदीय लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसे संस्थानों की स्थापना हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए की है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ताशकंद में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की स्मृति स्थल का भी दौरा किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में हरिवंश व ओम बिरला के अलावा भारतीय सांसद भर्तृहरि महताब, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, श्रीमती अपराजिता सारंगी, डा. सस्मित पात्रा, अशोक कुमार मित्तल, श्रीमती किरण चौधरीश्रीमती लता वानखेड़े, श्रीमती बिजुली कालिता मेधी के साथ लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह और राज्यसभा महासचिव पी.सी. मोदी भी शामिल हैं।

हरिवंश व बिरला ने की द्विपक्षीण बैठकें
उपसभापति सभा की मुख्य कार्यवाही और गवर्निंग काउंसिल की बैठक का भी हिस्सा थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया जिसमें दोनों सभाओं के सदस्य सम्मिलित थे। आईपीयू सभा का विषय सामाजिक विकास और न्याय हेतु संसदीय कार्रवाई था। अपने पांच दिवसीय ताशकंद दौरे के दौरान उपसभापति ने विभिन्न देशों के पीठासीन अधिकारियों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ कई अन्य द्विपक्षीय बैठकें की। राज्य सभा के उपसभापति और लोक सभा अध्यक्ष ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव से भी शिष्टाचार भेंट की। इस बैठक में उन्होंने दोनों देशों के गहरे संबंधों को रेखांकित किया तथा आगामी वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर बल दिया। एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारत उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद उसकी राज्य संप्रभुता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसे 18 मार्च, 1992 को राजनयिक संबंधों की स्थापना द्वारा औपचारिक रूप दिया गया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ताशकंद में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की स्मृति स्थल का भी दौरा किया।

बिरला ने मजबूत सहयोग पर दिया बल
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत और उज्बेकिस्तान ने राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सुदृढ़ सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध हैं। बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि अनेक भारतविदों को उनकी राजनयिक गतिविधियों के लिए भारत तथा अन्य देशों से सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उज्बेकिस्तान के शिक्षकों द्वारा उज्बेक-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया गया है, जिसका विमोचन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया।

प्रवासी भारतीयों का कार्यक्रम
आईपीयू के दौरान हरिवंश ने भारतीय प्रवासियों और समरकंद स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ विभिन्न सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने दोनों देशों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने वाले भारतीय समुदाय के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा जन-से-जन का जुड़ाव हमारे टिकाऊ संबंधों की आत्मा है और शिक्षा इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुझे अत्यधिक गर्व है कि उज्बेकिस्तान की 15 विश्वविद्यालयों में ‘भारत अध्ययन केंद्र’ की स्थापना हुई है, जो भारत की समृद्ध संस्कृति और भाषाओं के अध्ययन को समर्थन देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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