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देश में बिछेगा 2339 किमी लंबा सात मल्टी रेलवे ट्रैक

केंद्र ने दी 32,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी

भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ माल ढुलाई में होगी वृद्धि,
LP Live, New Delhi: भारतीय रेल का विश्वस्तरीय बनाने के लिए चलाई जा रही परियोजनाओं के त हत 2339 किलोमीटर के सात मल्टी-ट्रैकिंग तैयार किये जाएंगे। करीब 32,500 करोड़ रुपये की लागत से शुरु होने वाली इन परियोजनाओं को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।

रेल मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा देश के नौ राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में सात मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं की मंजूरी का मकसद है कि देश में रेलवे लाइन की क्षमता को बढ़ाकर ट्रेनों का आवागमन सुचारु करना है, ताकि यात्रियों की भीड भाड़ को कम करने परिवहन व्यवस्था आसान हो सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा इन परियोजनाओं की मंजूरी मिलने से भारतीय रेल के अति व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढांचागत विकास किया जा सकेगा। देश के नौ राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की वृद्धि होगी। इसके अलावा राज्यों के लोगों को 7.06 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। वहीं क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप 200 एमटीपीए अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो समेकित आयोजना से संभव हो सका है। इनकी बदौलत लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी।

कौन सी हैं सात परियोनाएं
केंद्र सरकार द्वारा मंजूर की गई सात मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाका में गोरखपुर-छाबनी-वाल्मीकि नगर, में मौजूदा लाइन का दोहरीकरण, सोन नगर-अंडाल मल्टी ट्रैकिंग परियोजना मल्टीट्रैकिंग, नेरगुंडी-बारंग और खुर्दा रोड-विजयनगरम नेटवर्क पर तीसरीलाइन, मुदखेड-मेडचल और महबूबनगर-धोने मार्ग पर मौजूदा लाइन का दोहरीकरण, गुंटूर-बीबीनगर और चोपन-चुनार की मौजूदालाइन का दोहरीकरण तथा समखिअली-गांधीधाम को चार लाइन बनाना शामिल है।

माल ढुलाई क्षमता बढ़ेगी
इन परियोजनाओं के पूरा होने से ये ट्रैक खाद्यान्न, उर्वरक, कोयला, सीमेंट, फ्लाई-ऐश, लोहा और तैयार इस्पात, क्लिंकर, कच्चा तेल, चूना पत्थर, खाद्य तेल आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप अतिरिक्त 200 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) माल की ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा दक्ष परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और देश की लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में मदद करेगा।

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