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सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत

आबकारी नीति घोटाला मामले में जेल में थे बंद

शर्तो के आधार पर दी गई दिल्ली के सीएम केजरीवाल को जमानत
LP Live, New Delhi: दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में पिछले 103 दिनों से जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई मामले में भी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए रिहा करने के आदेश दिये।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शुक्रवार को आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। उन्होंने दो याचिकाओं पर अपना फैसला दिया और केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिये। वहीं न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने भी उनके इस फैसले पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। हालांकि सीबीआई की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी। कोर्ट ने कुछ शर्त रखते हुए कहा कि अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा।

ईडी मामले में पहले ही जमानत
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को ईडी मामले में 12 जुलाई को ही जमानत मिली थी, लेकिन सीबीआई मामले में गिरफ्तारी के चलते वे रिहा नहीं हो सके थे। ऐसे में अब सीबीआई मामले में भी जमानत मिलने से केजरीवाल का जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की मियाद पूरी होने के बाद सरेंडर किया था। माना जा रहा है कि वे आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं। दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।

वैध थी केजरीवाल की गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है। हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए (iii) का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया।

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