

आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली पर अनुसंधान मेडिकल सांइस पर भारी
LP Live, Haridwar: पंतजलि ने राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति की विरासत को बचाए रखने की दिशा में अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा देने के लिए स्वदेशी, शिक्षा, चिकित्सा में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा दिया है, ताकि अध्यात्म, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज को दिशा दी जा सके। इसके लिए भारतीय शिक्षा बोर्ड को विस्तार देने का काम किया जा रहा है।
पंतजलि के संस्थापक बाबा रामदेव ने यह बात पंतजलि रिचर्स फाउंडेशन के सभागार में आयोजित मीडिया संवाद के दौरान कही है। उन्होंने राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति में स्वदेशी, शिक्षा, चिकित्सा में अनुसंधान कार्य करने वाले पतंजलि के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि आयुर्वेद को पुनर्जीवित करने की दिशा में जिस प्रकार से पतंजलि ने अनुसंधान किये हैं, उसकी स्वीकार्यता विश्व के देशों ने भी दी है। इसी प्रकार अध्यात्म, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसी कुरीतियों को दूर करने की दिशा में संस्था ने भारत की सांस्कृति विरासत को संजाए रखने के मकसद से अनुसंधान के जरिए कई ऐसी चीजों को धरातल पर उतारा है, जो मार्डन सांइस भी आज तक नहीं कर पाई। पतंजलि का अप्रत्याशित योग और आयुर्वेद आज पतंजलि का ब्रांड बन चुका है। स्वदेशी उत्पादों के निर्माण में पतंजलि का आज 45 हजार करोड़ का टर्नओवर है, जिसे एक लाख करोड़ रुपये तक करने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि योग हमारा स्वभाव होना चाहिए। योग ही इंसान को स्वस्थ्य बना सकता है, जिसे पतंजलि ने घर घर पहुंचाने का काम किया। वहीं आचार्य बालकृष्ण ने इस दौरान पतंजलि की उत्पत्ति से लेकर अब तक के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि पतंजलि आज विश्व में एक ब्रांड बन चुका है।
अत्यंत गरीबों के आरक्षण की वकालत
बाबा रामदेव ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में सामाजिक तानेबाने को जातिमुक्त के रुप में देखते हैं। लेकिन वे देश में सभी जातियों को गरीबों और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने के पक्षधर है। उन्होंने कहा कि राजनितिक पार्टियां जातियों को कैसे समायोजित करती है, जिसमें यह भी सच है कि कुछ जाति के कुछ लोग बहुत ज्यादा जातिवाद की बात कर रहे हैं और देश में जातिगणना की उठ रही मांग भी उठ रही है। उनका कहना है कि सनातन संस्कृति में जाति का कोई स्थान नहीं है यानी ब्राह्मण जैसा एक विश्लेषण शब्द है, जिसमें ज्ञान बांटने वालों को ब्राह्मण माना गया है। इसी प्रकार के विश्लेषण शब्दों में क्षत्रिय, वैश्य और अन्य जातियों के नाम लिये जाते हैं। इसके बावजूद उनका मत है कि यदि कुछ किया जाए तो सभी जातियों के अत्यंत गरीबों व आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को आरक्षण जैसी सुविधाएं देना आवश्यक है। पतंजलि इसी सिद्धांत के साथ देश का ऐसा संस्थान है, जो जातिमुक्त और क्षेत्रवाद से मुक्त है।

आयुर्वेद के खिलाफ दुष्प्रचार
बाबा रामदेव ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और योग की बढ़ती पहुंच की वजह से फार्मा कंपनियां विश्व में झूठ फैलाने में लगी हुई है और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दुष्प्रचार करने में लगी हुई है। यह किसी से छिपा नहीं है कि एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के जरिए इंसान के स्वास्थ्य के साथ किस प्रकार का खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि एफएमसीजी कंपनी किसी भी तरह के गलत प्रचार में शामिल नहीं है और न ही वह एलोपैथी और मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से फार्मा कंपनियां विश्वभर में झूठ फैला कर आयुर्वेद चिकित्सा को बदनाम कर रही है, वह मानवता के खिलाफ किसी अपराध से कम नहीं है। बाबा रामदेव ने कहा कि इस तरह का झूठा प्रोपेगैंडा और प्रचार किया जा रहा है कि दुनिया में बीपी, शुगर, थायराइड, अस्थमा, लिवर और किडनी फेल होने का कोई सॉल्यूशन नहीं है।
जाति विध्वंस खतरनाक
बाबा रामदेव ने सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लीलता, नग्नता और वीडियोगेम जैसे प्रचलन को अभिव्यक्ति की बर्बादी करार देते हुए कहा कि सरकार को इस तकनीक के दुरुपयोग रोकने के लिए ऐसे प्रचलन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने जातिवाद विध्वंस को अश्लीलता से भी ज्यादा खतरनाक करार दिया। वहीं उन्होंने ड्रग्स की बढ़ती तस्करी से बर्बाद युवाओं को राह दिखाने में बीएसएफ की भूमिका को अहम बताया। रामदेव ने देश में नकली उत्पाद बनाने और मिलावटखोरी को गंभीर अपराध करार देते हुए कहा कि ऐसी अपराध के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड की सजा का कानून बनाने पर बल दिया।
आयुर्वेद को बढ़ावा
आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली से पतंजलि में हर रोज सैकड़ों मरीज आते हैं, जिन्हें ओवरवेट मरीजों का मोटापा 8 से 10 दिनों में कम हो रहा हैं। ऐसे दुष्प्रचार करने वालों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी दवाएं शोध पर आधारित हैं और वह पतंजलि की सारी रिसर्च दिखाने को भी तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पतंजलि स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दे रहा है और वह कभी झूठा प्रचार नहीं करता है, बल्कि मेडिकल माफिया और फार्मा कंपनियों द्वारा जहां आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ झूठ फैलाया जा रहा है, वहीं बीमारियों के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है।
