गाजियाबाद व लोनी के मास्टर प्लान को नहीं मिली मंजूरी
जीडीए की बैठक में नहीं निकल सका कोई नतीजा
LP Live, Meerut/Gaziabad: प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के शहरों को सेफ और स्मार्ट बनाने की दिशा में गाजियाबाद को भी इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) से युक्त बनाने का निर्णय लिया है। वहीं जिला प्रशासन गाजियाबाद के मास्टर प्लान तक को मंजूरी नहीं दे सका, जबकि मोदीनगर के मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी गई और लोनी का मास्टर प्लान भी अधर में लटका हुआ है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जब शुक्रवार को गाजियाबाद को भी अन्य कुछ चुनिंदा शहरो की तर्ज पर इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) से युक्त बनाने के लिए 8575.71 लाख रुपए की परियोजना को स्वीकृति दे दी है। इस मंजूरी से अब प्रदेश के सभी नगर निगम इस योजना से युक्त हो गये हैं। वहीं इसके बाद शाम को मेरठ मंडल आयुक्त सेल्वा कुमारी जे की अध्यक्षता में मेरठ मंडल आयुक्त कार्यालय के सभागार में जीडीए बोर्ड बैठक आयोजित की गई, जिसमें गाजियाबाद के मास्टर प्लान समेत वेव सिटी सनसिटी की संशोधित डीपीआर और मेरठ रोड स्थित एक पेट्रोल पंप का प्रस्ताव रखा गया था। इस दौरान बोर्ड ने मोदीनगर के मास्टर प्लान को अनुमति भी दे दी। जब गाजियाबाद और लोनी में नॉन कंफर्मिंग जोन को लेकर मास्टर प्लान का प्रस्ताव सामने आया तो उसे लेकर असमंजस के हालात देखे गये, जिसके लिए मंडलायुक्त ने प्राधिकरण के कोष में वृद्धि को नॉन कंफर्मिंग जोन समेत अन्य भू-उपयोग निर्धारित करने के निर्देश दिए।
आपत्तियों व सुझाव के बाद निर्णय
गाजियाबाद व लोनी के मास्टर प्लान को लेकर आपत्ति व सुझाव के लिए एक सप्ताह का समय देने का निर्णय लिया गया। इस मामले में रैपिडएक्स के दुहाई डिपो को स्टेशन के रूप में नोटिफाई किए जाने के बीच अब दुहाई डिपो के टॉड क्षेत्र के लिए भी आपत्ति व सुझाव मांगे जाएंगे, जिसके बाद सुनवाई करके समिति निर्णय लेगी और रिपोर्ट उच्च अधिकारी को सौंपेगी। गौरतलब है कि पिछली बोर्ड बैठक में भी गाजियाबाद के मास्टर प्लान को आपत्ति लगाकर बोर्ड ने खारिज कर दिया था। इसे लेकर जीडीए अफसरों ने पिछले दिनों कई बैठकें की थीं और बार-बार दावा किया था कि इस बार जो मास्टर प्लान बनाया जाएगा। उसमें किसी तरह की आपत्ति न आए इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा, लेकिन अफसरों की इन सभी मैराथन बैठकों का नतीजा शून्य निकला और वह नान कन्फर्मिंग जोन को लेकर उठ रहे सवालों का तोड़ नहीं ढूंढ पाए। इससे जीडीए अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी अब सवाल उठने लगे हैं।