उत्तराखंड में होगा भारत-अमरीका संयुक्त ‘युद्धाभ्यास’
दोनों सेनाएं प्राकृतिक आपदा में त्वरित राहत कार्य का भी करेंगी अभ्यास
LP Live, New Delhi:
भारत-अमरीका संयुक्त प्रशिक्षण “युद्धाभ्यास-22” के 18वें संस्करण का आयोजन इस माह उत्तराखंड में किया जाएगा। यह युद्धाभ्यास भारत और अमरीका की सेनाओं की उत्कृष्ट पद्धतियों, कौशलों, तकनीकों और प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करने के लिए वार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। युद्धाभ्यास के पिछले संस्करण का आयोजन अक्तूबर 2021 में अमरीका के अलास्का में ज्वाइंट बेस एलमेन्ड्राफ रिचर्डसन में किया गया था।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास में अमरीकी सेना की 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन की सेकेंड बिग्रेड के जवान और भारतीय सेना की असम रेजीमेंट के जवान भाग लेंगे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के चैप्टर-7 के अंतर्गत एकीकृत युद्धक समूह में नियोजन पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत शांति रक्षण और शांति लागू करने से संबंधित सभी प्रकार की कार्रवाइयां शामिल होंगी। दोनों देशों के सैनिक साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे। संयुक्त अभ्यास के दौरान मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) कार्रवाइयों पर भी ध्यान दिया जाएगा। दोनों देशों की सेनाओं के जवान किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में त्वरित और समन्वित रूप से राहत कार्य प्रारंभ करने का भी अभ्यास करेंगे।
एक्सपर्ट एकेडमिक डिशक्शन
दोनों सेनाओं के व्यावसायिक कौशलों और अनुभवों का पूरी तरह लाभ प्राप्त करने के लिए कमांड पोस्ट एक्सरसाइज और सावधानीपूर्वक चयन किए गए विषयों पर एक्सपर्ट एकेडमिक डिशक्शन (ईएडी) किए जाएंगे। फील्ड में प्रशिक्षण अभ्यास के अंतर्गत एकीकृत युद्ध समूहों का सत्यापन, फोर्स मल्टीप्लायर्स, निगरानी ग्रिड की स्थापना और कामकाज, ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स का सत्यापन, पर्वतीय युद्ध कौशल, दुर्गम इलाके और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से घिरने पर आकस्मिक निकासी और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना शामिल है। इस प्रशिक्षण के दौरान युद्धक इंजीनियरिंग, यूएएस/काउंटर यूएएस तकनीकों का नियोजन और सूचना संचालन सहित युद्ध कौशल के व्यापक स्पेक्ट्रम पर आदान-प्रदान और अभ्यास शामिल होंगे। यह युद्धाभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को अपने व्यापक अनुभवों, कौशलों को साझा करने तथा सूचना के आदान-प्रदान से अपनी तकनीकों को संवर्धित करने का अवसर प्रदान करेगा।