अब ऑक्सीजन कंसनट्रेटर कृत्रिम अंगों की सूची में हुआ शामिल
योगी सरकार ने उप्र सरकारी सेवक नियमावली में किया संशोधन
यूपी का कार्यरत या सेवानिवृत सरकारी कर सकेंगे प्रतिपूर्ति का आवेदन
LP Live, Lucknow: योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 में संशोधन करते हुए ऑक्सीजन कंसनट्रेटर को भी कृत्रिम अंगों की सूची में शामिल कर लिया है। अब प्रदेश के सेवारत एवं सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारी यदि स्वास्थ्य कारणों से आवश्यक्ता पड़ती है तो ऑक्सीजन कंसनट्रेटर,सीपैप, बाईपैप खरीदकर उसकी प्रतिपूर्ति (रिइंबर्समेंट) का दावा कर सकेंगे।
देशभर में कोरोनाकाल के दौरान ऑक्सीजन संकट ने जिस प्रकार जनजीवन प्रभावित किया उसे देखते हुए यूपी सरकार ने अहम कदम उठाते हुए ऑक्सीजन कंसनट्रेटर को भी कृत्रिम अंगों की सूची में शामिल करने के लिए नियमों में संशोधन किया। वहीं प्रदेश के अस्पतालों में नए ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए तो इमरजेंसी में कई कंपनियों को अपने प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में बदलने की अनुमति दी गई। संशोधन के तहत कृत्रिम अंगों की तरह ही ऑक्सीजन बनाने वाले ऑक्सीजन कंसनट्रेटर समेत कई संबंधित यंत्रों की भी बड़ी मात्रा में खरीद की जा रही है। सरकार ने इस संबंध में गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। ऑक्सीजन कंसनट्रेटर खरीदने और इसकी प्रतिपूर्ति के संबंध में जो गाइडलाइंस दी गई है उसके अनुसार निर्धारित आवेदन प्रारूप में संबंधित चिकित्सक द्वारा अनुमोदित दावों पर ही विचार किया जाएगा। सभी उपकरण जीवनरक्षक यंत्र 5 वर्ष की अधिकतम आयु रखते हैं। इसलिए इन्हें 5 वर्ष के बाद सर्विस इंजीनियर के द्वारा पूर्व यंत्र की मरम्मत न हो पाने के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर प्रतिस्थापित (रिप्लेस) किया जा सकेगा।
दावों की होगी प्रतिपूर्ति
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा भी निर्धारित की गई है। इसके अनुसार ऑक्सीजन कंसनट्रेटर के लिए 60 हजार, सीपैप के लिए 50 हजार, बाई लेवल सीपैप के लिए 80 हजार और बाई लेवल वेंटीलेटरी सिस्टम के लिए 1.20 लाख तक की प्रतिपूर्ति की जा सकेगी। इसमें 5 वर्ष के लिए यंत्र की मरम्मत और स्पेयर पार्ट्स की कीमत सम्मिलित रहेगी। मरम्मत और पुर्जों की कीमत के लिए अलग से कोई दावा मान्य नहीं होगा। 5 वर्ष के बाद यंत्र प्रतिस्थापना के लिए वही प्रक्रिया लागू होगी जो पहले यंत्र के अनुमोदन के लिए निर्धारित की गई है।