मुजफ्फरनगर की टापर बेटियां क्यों नहीं चलाती फेसबुक और इंस्टाग्राम, पढ़िए इंटरव्यू
जिले की तीनों का सोशल मीडिया पर एकाउंट तक नहीं

LP Live, Muzaffarnagar: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों ने टाप कर एक बार फिर साबित कर दिया कि उन्हें मिली आजादी को वह शिक्षा के क्षेत्र में खर्च कर नाम रोशन करने की हिम्मत रखती हैं। 10वीं और 12वीं में जिले की टापर बेटियों ने खुद के साथ विद्यालय और अभिभावकों की आंखों में बुने गए सपनों को साकार करने की उम्मीदें पैदा की है। यह बेटियों केवल जिले तक ही अव्वल नहीं रहना चाहती, आगे चलकर देश की तरक्की में भी अपनी भूमिका अदा करने के सपने भी देखती हैं। खास बात हैं कि जिले की तीनों टापर बेटियों का सोशल मीडिया पर एकाउंट तक नहीं है, शायद यह दूरी भी बेटियों को बोर्ड परीक्षाओं में जिले के फलक पर बैठाने का रास्ता बनी है।
अवनी सैन की मंजिल यूपीएससी में सफलता
यूपी बोर्ड परीक्षा में 12वीं कक्षा में मुजफ्फरनगर जिले को टाप करने वाली मंसूरपुर की निवासी अवनी सैन का सपना यूपीएससी की परीक्षा को क्रेक करने का है। एमडीएस विद्या मंदिर इंटर कालेज में पढ़ाई कर किसान की बेटी अवनी सैन ने जिले को टाप कर इतिहास रच दिया। अवनी सैन कहती है कि उनकी हॉबी ही पढ़ाई है और पंसदीदा विषय गणित है। सोशल मीडिया पर उन्होंने आज तक अपना एकाउंट नहीं बनाया, जिस कारण वह पढ़ाई में ध्यान लगाकर यहां तक पहुंची है। वह बताती हैं कि अब बीटेक की पढ़ाई करेंगी, जिसके बाद यूपीएससी क्रेक कर देश की सेवा में अपनी भूमिका अदा करेंगी। उन्होंने बताया कि विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल कुमार शास्त्री सहित अन्य शिक्षकों के सहयोग के बिना जिले को टाप करना आसान नहीं था। आगे भी गुरूजनों व माता-पिता की प्रेरणा से सफलता जरूरत प्राप्त होगी। अवनी के किसान पिता कहते हैं कि बेटी की यह सफलता उनके लिए किसी अभूषण से कम नहीं है। इस अभूषण की चमक बढ़ाने के लिए हम आगे भी बेटी के सहयोग से पीछे नहीं हटेंगे।

इंजीनियर बनना चाहती हैं दिव्यांशी यादव, गणित विषय से हैं प्रेम
शहर के साईंधाम कालोनी निवासी एवं भागवंती सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज की 10वीं की छात्रा दिव्यांशी यादव ने हाईस्कूल में जिले को टाप कर परिवार को भी गौरवांवित कर दिया। दिव्यांशी यादव कहती है कि परिवार में वह तीन बहने हैं जिसमें वह सबसे बड़ी है। घर में पढ़ाई के माहौल और विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से उन्होंने जिले के साथ अपने विद्यालय को टॉप किया है। दिव्यांशी कहती है कि उनका सपना इंजीनियर बनने का है, जिसके लिए वह मेहनत करती है। गणित विषय को फेवरेट विषय बताते हुए कहा कि परीक्षा के दौरान पांच से छह घंटे पढ़ाई करती थी। उनके पिता मनीष यादव मकेनिकल इंजीनियर है और मां गृहणी है। उन्होंने बताया कि पढ़ाई में ध्यान होने के कारण उन्हें यह सफलता मिली है। दिव्यांशी यादव के घरे में एंड्रायड फोन है, लेकिन सोशल मीडिया से उनकी दूरी है। नए विद्यार्थियों के लिए कहा कि सोशल मीडिया पर समय की बर्बादी के कारण पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं, जिस कारण सोशल मीडिया पर एकाउंट नहीं बनाया। मोबाइल को केवल पढ़ाई के लिए प्रयोग करना की समझ ही उनका नाम जिले की टापर सूची में सबसे उपर लेकर आई है।
