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पुष्कर धामी बोले, राष्ट्रीय ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने की योजना बनाए केंद्र 

LP Live, New Delhi: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की दसवीं बैठक में कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते शहरों में ड्रेनेज की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। इससे निपटने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना बनाने पर बल दिया।

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मुख्यमंत्री पुष्कार सिंह धामी ने ने बैठक में ‘पीएम कृषि सिंचाई योजना’ की गाइडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को सम्मिलित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्र का मात्र 10 प्रतिशत भूभाग ही सिंचित हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हिमनद आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोडने की दिशा में ‘नदी जोड़ो परियोजना’ के साथ ही चेक डैम्स और लघु जलाशयों के निर्माण के माध्यम से वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के सशक्त नेतृत्व में भारत वर्ष 2047 तक ‘विकसित एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र’ बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था में पिछले तीन वर्षों में लगभग डेढ़ गुना की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य में ‘समान नागरिक संहिता’ कानून लागू किया गया। पिछले साढ़े तीन साल में राज्य के 23 हजार से अधिक युवा सरकारी नौकरी पाने में सफल रहे हैं।

हरिद्वार में कुंभ की तैयारी: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2026 में उत्तराखंड में पर्वतीय महाकुंभ के रूप में प्रसिद्ध ‘मां नन्दा राजजात यात्रा’ तथा वर्ष 2027 में हरिद्वार में ‘कुंभ’ का आयोजन होना है। इन दोनों आयोजनों को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए सहयोग मांगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दृष्टि से आने वाले दस वर्ष हमारे प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं वर्षों में हम ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं। सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड की जीडीपी में प्राथमिक सेक्टर का योगदान जहां मात्र 9.3 प्रतिशत है, वहीं इस कार्य में लगभग 45 प्रतिशत आबादी लगी है। इस समस्या को देखते हुए हमने प्रदेश के काश्तकारों को ‘लो वैल्यू एग्रीकल्चर’ की बजाए ‘हाई वैल्यू एग्रीकल्चर’ अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है, जिनमें एप्पल मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, मिलेट मिशन तथा सगंध कृषि को प्रोत्साहन शामिल है।

पर्यटकों को प्रोत्साहन:मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटकों को साहसिक पर्यटन, इको टूरिज्म और हाई-एंड टूरिज्म के माध्यम से आकर्षित करने के लिए वृहद नीति बनाकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू किये गये हैं। उत्तराखंड में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित ‘सतत एवं समावेशी विकास’ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी अर्थात ‘ग्रोस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स’ जारी करने की शुरुआत की है, इसके आंकलन द्वारा अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ‘जियोथर्मल ऊर्जा नीति’ शीघ्र लागू किया जायेगा। राज्य में ‘मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना’ प्रारंभ की गई है। इस योजना के लाभार्थी प्रतिमाह एक लाख रूपए से अधिक की आमदानी प्राप्त कर रहे हैं।

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