

राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने पर कांग्रेस ने जताया विरोध
LP Live, New Delhi: संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पिछले दो सप्ताह से हंगामे के अलावा कोई कामकाज सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। दोनों सदनों लोकसभा व राज्यसभा में सत्ता पक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंदन में दिये गये बयान पर माफी और कांग्रेस समेत विपक्ष अडाणी मामले में जेपीसी जांच की मांग को लेकर लगातार हंगामा करता आ रहा है।
संसद के दोनों सदनों में तीसरे सप्ताह शुरू हुई कार्यवाही के दौरान विपक्षी दलों ने अडाणी मामले पर जेपीसी की मांग को लेकर हंगामा ही नहीं किया, बल्कि लोकसभा में काले कपड़े पहनकर आए कांग्रेस सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ऊपर कागज फाड़कर उन्हें उछालकर फेंकें। दरअसल सोमवार को सुबह 11 बजे जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया, जो राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने का भी विरोध कर रहे थे। कागज फेंकने पर लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को संसद की गरिमा बनाए रखने के लिए चेतावनी भी दी कि कि अगर भविष्य में संसद की गरिमा के प्रतिकूल घटनाओं की पुनरावृत्ति की गई तो वह कार्रवाई करेंगे। । सदन में हंगामा बढ़ता देख लोकसभा की कार्यवाही को शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद भी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन में इस हंगामे के कारण अभी तक एक भी दिन शून्य काल और प्रश्नकाल नहीं चल सका है। एक मानहानि के एक मामले में सजा सुनाए जाने को लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया, जिसके मद्देनजर विरोध स्वरूप कांग्रेस सदस्य सदन में काले कपड़े पहन कर आए थे। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी काला स्कार्फ पहने हुए थीं। पिछले साल भी ओम बिरला के ऊपर विपक्षी दलों ने कागज फाड़कर फेंके थे।

राज्यसभा की कार्यवाही भी रही ठप
उधर राज्य सभा की कार्यवाही को हंगामे के कारण सोमवार को शुरु होने के कुछ देर बाद ही दोपहर बाद 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। दो बजे शुरू हुई सदन की कार्यवाही में विपक्ष के हंगामे की वही स्थिति रही और इस कारण सदन की कार्यवाही को मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में अभी लोकसभा में पारित किये गये वित्त विधेयक और विनियोग तथा अन्य मंत्रालयों से संबन्धित अनुदान संबन्धी विधेयक पेश करके उन्हें पारित कराने की योजना है। हालांकि राज्यसभा में यदि ऐसा नहीं होता, तो वित्त संबन्धी विधेयकों के लिए किसी एक सदन की मंजूरी के बाद भी उन्हें राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जा सकता है।
