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यूपी: इजरायल तकनीक से ‘ड्रॉप मोर क्रॉप’ से बेहतर होगा सिंचाई प्रबंधन

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए किसानों को मिलेगा अनुदान

किसानों के उत्पादन बढ़ने के साथ बढ़ेगी आय
LP Live, Lucknow: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने किसानों के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” की ओर भी अग्रसर है। यानी सरकार हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए स्प्रिंकलर और ड्रिप जैसी अपेक्षाकृत दक्ष सिंचाई प्रणालियों को प्रोत्साहन दे रही है। इस सिंचाई प्रणाली के लिए सरकार 80 से 90 फीसद तक अनुदान देती है।

दरअसल प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना की मदद से योगी सरकार ने सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा बाण सागर परियोजना को जनता को समर्पित कर प्रदेश के सिचाईं क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया है। इन बड़ी परियोजनाओं को लेकर योगी के आठ वर्ष के कार्यकाल में छोटी, बड़ी कुल 976 परियोजनाएं पूरी हुईं या प्रस्थापित की गईं हैं। इस सबका नतीजा यह रहा कि प्रदेश में करीब 48.32 लाख हैक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई। इससे लगभग 185.33 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्र का रकबा 82.58 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर हो गया। यूपी देश का इकलौता राज्य है जहां उपलब्ध भूमि के 76 फीसद हिस्से पर खेती हो रही है और कुल भूमि का करीब 86 फीसद हिस्सा सिंचित है। योगी सरकार ने इजरायल के सहयोग से प्रदेश में सिंचन प्रबंधन प्रणाली में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया है। इन विधाओं को लोकप्रिय और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार इजरायल सरकार से भी सहयोग ले सकती है। इस बाबत इजराइल के राजदूत से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उनसे इस बाबत बात भी हो चुकी है। खेतीबाड़ी से संबंधित कुछ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को इसका मॉडल भी बनाया गया है।

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से लाभ
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई के नतीजे दूरगामी होंगे, जिसमें पानी की बचत होगी और पानी को भूगर्भ जल से ऊपर खींचने वाली ऊर्जा भी रहेगी। परंपरागत सिंचाई से पूरा खेत पानी से भर जाने के बावजूद फसलों की क्षति भी नहीं होगी। इस सिंचाई प्रणाली के अनुसार बीज और पौधों को पानी मिलने से उनका अंकुरण (जर्मिनेशन) और बढ़वार (ग्रोथ) भी अच्छी होगी। इस सबका असर बढ़ी उपज और इसी अनुसार किसान की बढ़ी आय के रूप में दिखेगा और किसानों की यही खुशहाली डबल इंजन सरकार की मंशा भी है। अगर ऐसा हुआ तो उपलब्ध सिंचाई सुविधाओं से ही सिंचन क्षमता डेढ़ गुना से अधिक हो जाएगी।

बुंदेलखंड में सिंचाई विस्तार पर जोर
यूपी में पानी के लिहाज से सबसे संकटग्रस्त बुंदेलखंड से इसकी पहल भी हो चुकी है. कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के लिए बतौर मॉडल सरकार तीन स्प्रिंकलर परियोजनाओं पर काम कर रही है। इनमें मसगांव चिल्ली( हमीरपुर) कुलपहाड़ (महोबा ) औऱ शहजाद (ललितपुर) परियोजनाएं शामिल हैं। बाद में सिंचाई की अन्य परियोजनाओं को भी स्प्रिंकलर से जोड़े जाने की भी योजना है। खेत-तालाब योजना के तहत निर्मित तालाबों को भी सरकार स्प्रिंकलर से जोड़ेगी।

इन परियोजनाएं काम जारी
प्रदेश में सिंचन क्षमता बढ़ाने का यह सिलसिला अभी जारी है। मध्य गंगा नगर परियोजना फेज दो, कनहर सिंचाई परियोजना और रोहिन नदी पर महराजगंज में बैराज बनाने का काम जारी है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से करीब 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी, इससे सात लाख किसानों को भी लाभ होगा। इसी तरह नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन बेतवा लिंक के पूरा होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझेगी। वहीं 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।

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