

केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर मांगा जवाब
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लागू किये गये नए वक्फ़ कानून के विरोध दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई शुरु की। कोर्ट में कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलीले देते हुए तर्क पर तर्क दिये। कोर्ट ने कुछ पहलुओं पर विचार करने के बाद ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ़ कानून पर रोक की मांग पर कोई सुनवाई नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने दो अहम पहलुओं पर विचार करने की बात कही और केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर जवाब मांगा है। अदालत गुरुवार को दूसरे दिन की सुनवाई करेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि वक्फ़ कानून पर रोक की मांग पर कोई सुनवाई नहीं होगी। अदालत की तरफ से बुधवार को कोई आदेश जारी नहीं किया गया, बल्कि सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा कि जो भी संपत्ति उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गई है, या न्यायालय द्वारा घोषित की गई है, उसे अधिसूचित नहीं किया जाएगा। वहीं अदालत ने कहा कि पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, उन्हें धर्म की परवाह किए बिना नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य मुस्लिम होने चाहिए।

वकीलों ने किया तर्क वितर्क
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अभिषेक सिंघवी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि इस्लाम में उत्तराधिकार मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन यह कानून उससे पहले ही हस्तक्षेप करता है। उन्होंने अधिनियम की धारा 3(सी) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी, जो पहले से वक्फ घोषित थी। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह कानून इस्लाम धर्म की अंदरूनी व्यवस्था के खिलाफ है। अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि 8 लाख में से 4 वक्फ हैं, जो उपयोगकर्ता के द्वारा हैं। उन्होंने इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
एसजी तुषार मेहता की दलील
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अदालत इस समय उस कानून पर सुनवाई कर रही है, जिसे व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी तीखे सवाल पूछे और सीजेआई ने एसजी तुषार मेहता से कहा कि वक्फ़ बाई यूजर क्योंो हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 14,15वीं सदी की अधिकांश मस्जिदों में बिक्री विलेख नहीं होगा। अधिकांश मस्जिदें वक्फ़ बाई यूजर होंगी। इस पर एसजी ने कहा कि उन्हें इसे पंजीकृत करवाने से किसने रोका? सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सरकार कहने लगी कि ये जमीनें सरकारी हैं तो क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई 72 याचिका
इस मामले में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, डीएमके, और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद सहित 72 याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को एक कैविएट दायर कर कोर्ट से अपील की थी कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
