जानिए नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और शुभ योग तिथियां
LP Live, Desk; रविवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस दौरान भक्तगण मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि विधान से आराधना करते हैं और उपवास रखते हैं। इन दिनों अलग-अलग तिथियों की विशेषता हैं और कलश यात्रा में कई चीजों को ध्यान रखना भी जरूरी है।
बिजनौर के सिविल लाइन स्थित धार्मिक संस्थान विष्णु लोक के ज्योतिषविद पंडित ललित शर्मा ने बताते हैं कि शारदीय शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 15 अक्टूबर से हो रहा है। इस दिन सर्वप्रथम कलश स्थापना का मुहूर्त देखा जाता है। नवरात्रि कलश स्थापना के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस वर्ष कलश स्थापना का श्रेष्ठ समय अभिजीत मुहूर्त में प्रातः 11:44 से दोपहर 12:30 तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना श्रेष्ठ एवं शुभ रहेगा। शुभ मुहूर्त में विधि विधान से स्थापित किया गया कलश सुख समृद्धि और आरोग्य प्रदान करता है। कलश मिट्टी, पीतल, तांबा, सोना या चांदी का होना चाहिए। लोहे या स्टील का कलश प्रयोग नहीं करना चाहिए। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। कलश को सुख समृद्धि वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णु जी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा जी का निवास है और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। कलश में भरा जल इस बात का संकेत है कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा शीतल स्वच्छ एवं निर्मल बना रहे।
हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी
ज्योतिषविद पंडित ललित शर्मा बाते हैं कि इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी। यह एक अच्छा संयोग है। शास्त्रानुसार हाथी सुख, समृद्धि और शक्ति का मानक है। हाथी पर आगमन होने से संपन्नता आएगी। नवरात्रि के 9 दिन तो वैसे ही काफी शुभ माने गए हैं, लेकिन नवरात्रि में कई शुभ योग आने से इनका महत्व और बढ़ जाएगा। नवरात्रि में सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और रवि योग जैसे कई शुभ योग विद्यमान रहेंगे।
शुभ योग कब कब
सर्वार्थ सिद्धि 18 और 22 अक्टूबर – इस योग में सभी प्रकार के कार्य सिद्ध होते हैं।
अमृत सिद्धि योग 18 अक्टूबर- इसमें अमृत तुल्य फल मिलता है।
त्रिपुष्कर योग 21 अक्टूबर – तीन गुना फलदायी।
रवि योग 17,19, 22और 24अक्टूबर – उन्नति और पदोन्नति देता है।