LP Live, New Delhi: भारत सरकार ने देश में खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम और स्थिर बनाये रखने की दिशा में निर्दिष्ट खाद्य पदार्थ (संशोधन) आदेश में संशोधन किया है। इसके लिए जारी आदेश में लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, भंडारण सीमा तथा आवाजाही प्रतिबंधों को हटाने के माध्यम से तेल एवं तिलहन पर स्टॉक सीमा तय की गई है।
केंद्रीय उपभोक्ता , खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के इस आदेश के तहत सरकार ने आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक निर्बाध बनाने के उद्देश्य से तत्काल थोक विक्रेताओं तथा विस्तृत श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं की श्रेणी को वर्तमान स्टॉक सीमा आदेश से छूट देने के लिए अधिसूचना जारी की है। थोक विक्रेताओं व बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को भंडारण सीमा आदेश से हटाने से उन्हें खाद्य तेलों की विभिन्न किस्मों और ब्रांडों को रखने की अनुमति मिल जाएगी, जिन्हें वे वर्तमान में स्टॉक नियंत्रण आदेश के कारण रखने में असमर्थ हैं। इससे पहले इस आदेश के तहत सभी राज्यों द्वारा तेल एवं तिलहन के उपलब्ध स्टॉक और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के खपत पैटर्न के आधार पर भंडारण सीमा तय करने के लिए छोड़ दिया गया था। इसके बाद सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खाद्य तेलों तथा तिलहनों पर स्टॉक सीमा मात्रा समान रूप से निर्धारित की गई थी। भंडारण सीमा आदेश देश में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों तरह के बाजारों में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण लगाया गया था। इसकी उच्च अस्थिरता उस समय जमाखोरी, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही थी। सरकार द्वारा समय रहते हस्तक्षेप करने से आसमान छूती कीमतों में भारी गिरावट आई थी और जमाखोरी, विशेषकर सोयाबीन के बीजों पर नियंत्रण रखने में बड़ी सहायता मिली थी। इस समय प्रमुख खाद्य तेलों की कीमत की स्थिति में अब धीरे-धीरे बदलाव देखने को मिल रहा है, ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ घरेलू उपलब्धता के लिए भी खाद्य तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई है, इसके लिए खाद्य विभाग द्वारा स्टॉक सीमा आदेश की समीक्षा की गई थी। वहीं अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में पर्याप्त आपूर्ति बहाल होने तथा खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार गिरावट को देखते हुए, यह थोक विक्रेताओं एवं थोक उपभोक्ताओं (बड़ी श्रृंखला खुदरा दुकानों) को स्टॉक सीमा नियंत्रण आदेश से छूट देने का एक उपयुक्त समय था। इस आदेश के प्रभाव से तिलहन की कीमतों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे तिलहन की खरीद को बढ़ावा मिलेगा, जिससे घरेलू तिलहन उगाने वाले किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।