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लोकसभा: आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों विधेयक पारित

मॉब लिंचिंग’ जैसे अपराध में फांसी की सजा का किया प्रावधान‘

अंग्रेजी हुकूमत के आपराधिक कानूनों का हुआ खात्मा
LP Live, New Delhi मोदी सरकार के अंग्रेजी हुकूमत के आपराधिक कानूनों में बदलाव वाले तीनों विधेयक भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 लोक सभा में पारित हो गए है। इन तीनों कानूनों को अपराधों पर नियंत्रण की दिशा में सख्त बनाया गया है।

लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले इस पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि तीन आपराधिक कानूनों की जगह लाए गए विधेयक गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं। गौरतलब है कि संसद में तीनों आपराधिक कानून वाले विधेयकों को पिछले सत्र के दौरान पेश किया गया था और अध्ययन के लिए संसद की संयुक्त समित को भेज दिया गया था, जिसकी समिति ने पहले ही रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी।

अब मिलेगा त्वरित न्याय
लोकसभा में इन विधेयकों के बारे में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अमित शाह ने कहा कि अब आरोपी को बरी करने के लिए याचिका दायर करने के लिए सात दिन मिलेंगे और जज को उन सात दिनों में और अधिकतम 120 दिनों में मामले की सुनवाई करनी होगी सुनवाई होगी। पहले प्ली बार्गेनिंग के लिए कोई समय सीमा नहीं थी। अब अगर कोई अपराध के 30 दिनों के भीतर अपना अपराध स्वीकार कर लेता है तो सजा कम होगी। सुनवाई के दौरान दस्तावेज पेश करने का कोई प्रावधान नहीं था। हमने इसे बना दिया है 30 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इसमें कोई देरी नहीं की जाएगी। अमित शाह ने कहा कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है।

महिलाओं और बच्चों वाले कानूनों को प्राथमिकता
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इन नए कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार के तीन सिद्धांतों के आधार पर बनाए जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार अपराध न्याय प्रणाली से जुड़े तीनों कानूनों का मानवीकरण होगा। नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है। उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘मॉब लिंचिंग’ घृणित अपराध है और नए कानून में इस अपराध में फांसी की सजा का प्रावधान है।

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