सरकार नुकसान के आकलन रिपोर्ट के आधार पर देगी वित्तीय सहायता
LP Live, Chandigarh: हरियाणा सरकार ने किसानों की कपास की फसल के हुए नुकसान का मुआवजा देने के लिए आकलन हेतु ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों एक अक्टूबर तक ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोलने के दिए निर्देश दिये हैं। इस पोर्टल पर किसान अपनी कपास की फसल के नुकसान का ब्यौरा दर्ज करा सकेंगे।
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने राज्य में कपास फसल के हुए नुकसान के संबंध में कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को एक अक्टूबर से खोलने के निर्देश दिए ताकि किसान अपनी कपास की फसल में हुये नुकसान का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज करा सकें। वहीं उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास फसल के नुकसान का आकलन करते हुए रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए, ताकि राजस्व विभाग द्वारा आकलन रिपोर्ट के आधार पर फसल में हुये नुकसान पर वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।
गुलाबी सूंडी से हुआ नुकसान
उन्होंने अधिकारियों को कपास में गुलाबी सूंडी के प्रकोप से हुये नुकसान की भरपाई के लिए हर गांव में कपास फसल के लिए फसल कटाई प्रयोगों को दोगुना करते हुए 4 से 8 करने के भी निर्देश दिए ताकि नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सके। उन्होंने प्रयोगों की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए ताकि फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर कपास फसल में हुये नुकसान पर वित्तिय सहायता प्रदान की जा सके।
फसल सुरक्षा योजना शुरू
बैठक में बताया गया कि राज्य में कलस्टर-2 के अधीन जिला अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जीन्द, महेन्द्रगद्व व गुरुग्राम में जिन किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा नहीं हुआ उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कलस्टर-2 हेतू हरियाणा फसल सुरक्षा योजना को कपास फसल के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत किसान 30 सितम्बर 2023 तक कृषि विभाग की वेबसाइट पर अपनी कपास की फसल का पंजीकरण मामूली शुल्क अदा कर फसल को सुरक्षित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी 3 दिन तक तुरन्त प्रभाव से खोलने का निर्णय लिया गया है। जिन किसानों ने अभी तक अपनी फसलों का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, वे किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करवाकर फसल उत्पाद को सुगमता से बेच सकते हैं।