सुप्रीम कोर्ट का झटका:आप नेता सत्येन्द्र जैन फिर जाएंगे जेल
शीर्ष अदालत ने तुरंत सरेंडर करने का दिया आदेश
मनी लॉन्ड्रिंग मामला: मेडिकल जमानत पर चल रहे थे दिल्ली के पूर्व मंत्री
LP Live, New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया और तुरंत सरेंडर करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने आप नेता को तुरंत जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया। पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने जैन के वकील द्वारा आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगने के अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस प्रकार कोर्ट ने सोमवार को आप नेता सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में सत्येन्द्र जैन को सरेंडर करने को कहा है। पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सह-अभियुक्तों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। पीठ ने फिजियोथेरेपी कराने के आधार पर आत्मसमर्पण करने के लिए समय मांगने की उनकी दलील भी खारिज कर दी। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मेडिकल जमानत पर चल रहे सत्येंद्र जैन ने नियमित जमानत याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सत्येन्द्र जैन को आज सोकवार को ही सरेंडर करना होगा, जिन्हें जेल भेजा जाएगा।
एक दिन पहले फैसला सुरक्षित रखा गया
सुप्रीम कोर्ट में ने 17 जनवरी को सत्येन्द्र जैन की याचिका पर जैन और प्रवर्तन निदेशालय की दलीलें सुनने के बाद जैन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत के समक्ष इस याचिका का ईडी ने विरोध किया था और आरोप लगाया था कि वह इस आधार पर सुनवाई के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष बार-बार स्थगन की मांग कर रहे थे कि जमानत के लिए उनकी याचिका शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित थी, जिसने पूछा था उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में लगन से भाग लेना चाहिए।
मेडिकल जमानत पर थे जैन
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 26 मई को उन्हें रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के लिए चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी और शीर्ष अदालत ने बाद में सुनवाई के दौरान उनकी अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी। इसलिए वह मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत पर थे। शीर्ष अदालत ने उन्हें चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि एक नागरिक को निजी अस्पताल में अपनी पसंद का इलाज कराने का अधिकार है।