अदालत ने नीति की एक प्रति 21 मार्च से पहले रिकॉर्ड पर रखने को कहा
केंद्र सरकार ने किया कैशलेश इलाज योजना का ऐलान
LP Live, New Delhi: देश में मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार को जल्द ही कैशलेस इलाज की नीति बनाने के निर्देश दिये। कोर्ट ने केंद्र को इस नीति की एक प्रति 21 मार्च से पहले रिकॉर्ड पर रखने का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ऐसे समय आया, जब केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी एक दिन पहले ही दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की योजना का ऐलान कर चुके थे।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने अपने इस महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र सरकार को मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए जल्द से जल्द ‘गोल्डन आवर’ में कैशलेस इलाज की योजना बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) का हवाला दिया और सरकार को 14 मार्च तक योजना बनाने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि इसके बाद और समय नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा-2(12-ए) के तहत गोल्डन आवर घायल होने के बाद एक घंटे की अवधि को कहते हैं जिसमें इलाज मिलने से मृत्यु रोकी जा सकती है। अदालत ने योजना की एक प्रति 21 मार्च से पहले रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया।
कोर्ट के आदेश के अनुसार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का संबंधित अधिकारी हलफनामा दाखिल करेगा, जिसमें योजना के कार्यान्वयन के तरीका बताया गया हो। गौरतलब है कि यह प्रविधान एक अप्रैल, 2022 से लागू होने के बावजूद सरकार अभी तक योजना लागू नहीं कर पाई, जिस कारण अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा। इससे पहले केंद्र ने एक प्रस्तावित योजना का मसौदा प्रस्तुत किया था, जिसमें अधिकतम इलाज लागत 1.5 लाख रुपये और सात दिनों के लिए कवरेज शामिल थी।
कैशलेस इलाज योजना का ऐलान
उधर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कैशलेस उपचार योजना का ऐलान करते हुए कहा कि अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचना दे दी जाती है तो सरकार इलाज का खर्च उठाएगी। वहीं उन्होंने हिट एंड रन के मामलों में भी पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये तक मुआवजा देने की घोषणा की। योजना के तहत हादसों के पीड़ितों का सात दिन के इलाज का 1.5 लाख रुपये तक का खर्च सरकार वहन करेगी। उन्होंने यह घोषणा भारत मंडपम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों के साथ बैठक के दौरान की। थी।