सरकार की इससे पहले वित्तीय कामकाज निपटाने की प्राथमिकता
LP Live, New Delhi: केंद्रीय कैबिनेट द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी देने के बाद सरकार को इसे लोकसभा में 16 दिसंबर सोमवार को पेश करना था, लेकिन लोकसभा की संशोधित तालिका में भी यह विधेयक सूचीबद्ध नहीं किया गया है। मसलन सोमवार को यह विधेयक पेश नहीं होगा इस इस सत्र में सरकार वित्तीय कार्यो को निपटाने पर जोर देगी।
संसद के शीतकालीन सत्र में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को पेश करने के इरादे से केंद्र सरकार ने कैबिनेट में इसे 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी और इसकी प्रतियां अध्ययन के लिए लोकसभा के सभी सांसदों को भी भेजी जा चुकी हैं। यदि यह विधेयक सोमवार को पेश नहीं किया जाता तो इसके बाद सत्र की महज चार बैठके शेष रह जाएंगी, इसलिए इस विधेयक को संसद में पेश करने पर संशय बरकरार है। संसद का शीतकालीन 20 दिसंबर तक चलना है। दूसरी ओर इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों में विपरीत प्रतिक्रियाएं सामने आई। शायद इसे देखते हुए सरकार ने संसद सत्र की बाकी बैठकों में पहले वित्तीय कार्यो को आगे बढ़ाने को प्राथमिकता दी है।
क्या है विधेयक में प्रमुख संशोधन
इस विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82(ए) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ा गया है और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) और अनुच्छेद 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन किया गया है। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक का मसौदा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार तैयार किया गया है। विधेयक के अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा पूर्ण कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग हो जाती है, तो केवल उस विधानसभा के लिए पांच साल के शेष कार्यकाल के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे।