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लोकसभा में पेश हुआ ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक

विपक्ष के विरोध के बावजूद बिल पर चर्चा शुरु

विपक्ष ने की विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को सौपने की मांग
LP Live, New Delhi: आखिर लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष के विरोध के बावजूद ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक पेश कर दिया गया, जिस पर चर्चा शुरु करा दी गई है। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंपने की मांग की। इस विधेयक के लागू होने से देश में लोकसभा और राज्यसभा विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ होगा।

लोकसभा में मंगलवार को विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक पेश किया। विधेयक पेश करते हुए मेघवाल ने कहा कि इसका उद्देश्य देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की व्यवस्था लागू करना है। उन्होंने कहा कि इससे प्रशासनिक क्षमता बढ़ेगी और चुनावी खर्च में कमी आएगी। लोकसभा में पेश किये गये इस विधेयक पर चर्चा शुरु हो चुकी है। वहीं विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए गहन विचार-विमर्श की मांग कर रहा है। विपक्ष ने इस विधेयक को जेपीसी के पास भेजने की मांग की है। गौरतलब है कि गत 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी। कैबिनेट ने इस विधेयक से संबन्धित दो मसौदा कानूनों को मंजूरी दी थी, इसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में हैं। हालांकि सरकार की इस विधेयक पर आम लोगों की राय भी लेने की योजना है। वहीं इसके लिए विपक्षी दलों से बातचीत करने की जिम्मेदारी केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को सौंपी गई है। इससे पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक पेश किए जाने का विरोध करने के लिए एक नोटिस दिया है।

संविधान के खिलाफ है विधेयक: कांग्रेस
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह लोगों के वोट देने के अधिकार पर हमला है। चुनाव आयोग को इस विधेयक में बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। संविधान में चुनाव आयोग को सिर्फ चुनाव कराने की व्यवस्था करने का ही प्रावधान किया गया है, लेकिन इस विधेयक में राष्ट्रपति के चुनाव आयोग से चुनाव को लेकर सलाह लेने का प्रावधान दिया गया है, जो संविधान के खिलाफ है।

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