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रेलवे के सवा 11 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को मिलेगा बोनस

केंद्र सरकार ने दी रेलवे कर्मचारियों को बोनस की सौगात

LP Live, New Delhi:

केंद्र सरकार ने रेलवे के 11.27 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2021-22 के 78 दिनों के बोनस का भुगतान करने को मंजूरी दी है। सरकार के इस फैसले से सरकारी कोष पर 1,832 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक में लिए  गए निर्णयों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी है।  उन्होंने बताया कि रेलवे के 11.27 लाख कर्मचारियों को 1,832 करोड़ रुपये का प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस दिया जाएगा। यह 78 दिनों का बोनस होगा और इसकी अधिकतम सीमा 17,951 रुपये रहेगी। रेलवे में आरपीएफ, आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर उत्पादकता से जुड़ा बोनस पूरे देश में फैले सभी गैर राजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को कवर करता है। बताया गया कि 7000 रुपये तक पर गणना: पात्र कर्मचारियों को बोनस के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपये प्रतिमाह है। पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिनों की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये है।

पहले यह हुई थी यह घोषणा 

रेल मंत्रालय ने रेलवे कर्मचिरियों के लिए यह ऐलान पहले किया था, जिसे केंद्र सरकार ने  मंजूरी दी है। रेलवे ने यह भी कहा था कि कोविड़काल के दौरान रेल कर्मचारियों ने यात्री और माल सेवाओं के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लॉकडाउन के दौरान रेल कर्मचारियों ने आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, खाद, कोयला और अन्य वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की।
तेल कंपनियों को मुआवजे की मंजूरी
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बैठक में तेल कंपनियों को राहत देते हुए एलपीजी रसोई गैस के लिए राज्य द्वारा संचालित तेल विपणन कंपनियों को एकमुश्त मुआवजे को मंजूरी दी गई है। वित्त मंत्रालय 22 हजार करोड़ रुपये नकद भुगतान पर सहमत हो गया है। ठाकुर ने कहा कि दुनिया भर में रसोई गैस की कीमतें बढ़ रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की तेल विपणन कंपनियों को 22,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान दिया गया है, ताकि बढ़ती कीमतों का बोझ आम लोगों पर न पड़े। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प (एचपीसीएल) मिलकर भारत के 90 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम ईंधन की आपूर्ति करते हैं। इस कंपनियों को तिमाही आधार पर तगड़ा नुकसान हुआ है। इन तीन सरकारी तेल कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-जून) की पहली तिमाही में पेट्रोल, डीजल और घरेलू एलपीजी पर मार्केटिंग मार्जिन में गिरावट के कारण 18,480 करोड़ रुपये का संयुक्त घाटा दर्ज किया था। इसी के बाद मुआवजे की मांग हो रही थी

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