अपराधदेशराजनीति

राज्यसभा ने संसदीय समिति को भेजे आईपीसी, सीआरपीसी व आईएए बिल

संसदीय स्थायी समिति तीन माह में पेश करेगी अपनी रिपोर्ट

अंग्रेजी हुकूमत के कानूनों में किया गया आमूलचूल परिवर्तन
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के आईपीसी, सीआरपीसी समेत तीन कानूनों में बदलाव करके तीन नए विधेयक लोकसभा में पेशकर उन्हें अध्ययन के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था। उसी प्रस्ताव के तहत इन तीनों विधेयकों को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की गृह मंत्रालय संबन्धी संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया है, जिसे तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

राज्यसभा सचिवालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सभा सभापति जगदीप धनखड़ ने आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को विस्तृत विचार विमर्श के लिए गृह मामलों पर विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति को जांच कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देने के लिए भेज दिया है। इस समिति के सभापति भाजपा राज्य सभा सांसद बृजलाल हैं, जिसमें राज्य सभा के दस और लोकसभा के 20 संसद सदस्य शामिल हैं। समिति में भाजपा के अलावा कांग्रेस, डीएमके, बीजू जनता दल,तृणमूल कांग्रेस,जेडीयू, वाईएसआर कांग्रेस और शिवसेना के सांसद भी नामित हैं।

पिछले सप्ताह लोकसभा में पेश हुए थे बिल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान पिछले सप्ताह 11 अगस्त,2023 को अंग्रेजी शासनकाल यानी 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों के रुप में भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया था। इन बिलों को संसद की स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव किया गया था, जो राज्यसभा की समिति है।

अनेक धाराओं को खत्म करके नई धाराएं जोड़ने का प्रस्ताव
सरकार ने इन तीनों बिलों को सदन में पेश करते हुए कहा कि ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों की संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का उद्देश्य दंड देना था, जबकि इन तीनों बिलों का उद्देश्य न्याय देना है। उन्होंने कहा था कि इसमें राजद्रोह के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है, नाम बदल कर यौन शोषण करने वालो के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है, दोषियों की संपत्ति कुर्की का प्रावधान किया गया है, सजा माफी को लेकर भी नियम बनाया गया है। नए विधेयकों में पुलिस, अदालत और वकीलों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। उन्होंने भारतीय न्यायिक व्यवस्था और दंड व्यवस्था में आमूल चूल बदलाव का दावा करते हुए कहा था कि चार साल के गहन विचार विमर्श के बाद ये तीनों बिल लाये गए हैं।

admin

लोकपथ लाइव वेबसाइड एक न्यूज बेवसाइट है। यहां खबरों के साथ देश के प्रतिभाशाली व्यक्तियों का परिचय भी उनकी उपलब्धियों के साथ कराना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। हमारा मकसद आप तक सच्ची खबरें तथ्यों के साथ पहुंचाना है। लोकपथ लाइव पर अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय सहित विभिन्न राज्यों के जिलों और गांव तक की ताजा खबरें पढ़ सकते हैं। - प्रधान संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button