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राज्यसभा: नए सदस्यों ने लिया संसदीय नियमो एवं प्रक्रियाओं का ज्ञान

उप सभापति हरिवंश ने नव प्रौद्योगिकी के उपयोग करने पर दिया बल

LP Live, New Delhi: राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने सदन के नवनिर्वाचित सदस्यों को संसदीय नियमों को सर्वोच्चता के साथ पालन करने का आग्रह करते हुए कहा कि एक प्रभावी सांसद बनने के लिए उन्हें को डिजिटलीकरण और नव प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। वहीं उनके लिए प्रश्न काल, शून्य काल, विशेष उल्लेख का उपयोग करना भी कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने के लिए महत्वपूर्ण माध्यम होना चाहिए।

संसद के संसदीय सौंध के सभागार में आयोजित दो दिवसीय विषय बोद्ध कार्यक्रम के समापन के मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राज्यसभा सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि संसद सदस्यों के लिए नियमों का सर्वोच्चता के साथ पालन करने से ही वे प्रभावी जनप्रतिधि बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन दो दिनों के विषय बोध कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों से सदस्यों को संसदीय प्रक्रिया की बारीकियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इससे पूर्व दिन में उन्होंने संसद में सांसदों से अपेक्षा और राजव्यवस्था में उनकी भूमिका पर एक सत्र को भी संबोधित किया। हरिवंश ने कहा कि सदस्यों को डिजिटलीकरण और आईटी तथा संसदीय राजनय का महत्व जैसे नए सत्रों से नव प्रौद्योगिकी के उपयोग करने में मदद मिलेगी। वहीं इस कार्यक्रम के तहत आयोजित विभिन्न सत्रों से सदस्यों को संसदीय प्रक्रिया की बारीकियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे नियमों और प्रक्रियाओं, समिति के कार्य, आचार संहिता और अन्य बातों के बारे में जागरूक रहें और सदन में नियम सर्वोच्चता के साथ पालन करें।

वरिष्ठ सांसदों ने भी दिया ज्ञान
राज्य सभा सचिवालय के क्षमता निर्माण प्रभाग द्वारा राज्य सभा के नव निर्वाचित और नाम-निर्देशित सदस्यों के लिए आयोजित इस विषयबोध कार्यक्रम के दौरान सांसद डा. सस्मित पात्रा द्वारा दिए गए ‘विधि-निर्माण प्रक्रिया’, एस. निरंजन रेड्डी ने ‘संसदीय विशेषाधिकार’ पूर्व राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने ‘राज्य सभा: भारतीय राजव्यवस्था में इसकी भूमिका और योगदान’ तथा नारायण दास गुप्ता ने ‘राजनीति में आचार संहिता:सदस्यों के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के बारे में नए सांसदों को बारीकियों के साथ जानकारी दी। इसके अलावा कार्यक्रम में डा. फौजिया खान ने ‘प्रश्न काल के महत्व’ और तिरुचि शिवा ने समिति प्रणालियों के संबंध में नए सांसदों को संसदीय ज्ञान दिया।

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