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यूपी में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी

याेगी सरकार की पराली प्रबंधन नीति से किसानों की आय बढ़ी

LP Live, Lucknow: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में कई ठोस कदम उठाए हैं, जिसका नतीजा है कि पिछले सात साल में प्रदेश में वायु प्रदूषण का कारण बनने वाली पराली जलाने की घटनाओं पर बड़े पैमाने पर अंकुाश लगा है। मसलन पिछले सात साल में पराली जलाने की 4,788 घटनाओं में कमी दर्ज की गई है।।

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने यह जानकारी पराली प्रबंधन को लेकर हुई समीक्षा बैठक के दौरान दी। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन का असर नजर आने लगा है। प्रदेश में किसान यानी अन्नदाता पराली जलाने की जगह उससे अपनी आय बढ़ाने लगे हैं, जिसके कारण पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हर वर्ष लगभग 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का उत्पादन होता है। वायु प्रदूषण में सुधार के लिए सरकार ने कई ठोस उपाय किये हैं। यही कारण है कि जहां साल 2017 में पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं वर्ष 2023 में 3,996 ही मामले सामने आए हैं। मसलन पिछले सात सालों में पराली जलाने के 4,788 मामलों में कमी दर्ज की गई है।

किस जिले में कितनी घ्रटनाएं 
प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने में कई जिलों ने अहम भूमिका निभाई है। इनमें सबसे कम घटनाएं महाराजगंज में 468, झांसी में 151, कुशीनगर में 118 और फतेहपुर में 111 दर्ज की गई। इन जिलों ने बेहतर प्रबंधन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से शानदार प्रदर्शन किया है। उत्तर प्रदेश में साढ़े सात वर्ष पहले पराली जलाने की समस्या जो लंबे समय से पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनी हुई थी, आज पूरी तरह से नियंत्रण में है।

एसे हो रहा है पराली का उपयोग
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में सामने आए तथ्यों पर गौर की जाए तो प्रदेश में पराली उत्पादन में से 34.44 लाख मीट्रिक टन चारा और 16.78 लाख मीट्रिक टन अन्य उपयोग में लाया जा रहा है। इसी तरह 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली इन-सीटू एवं एक्स-सीटू मैनेजमेंट के जरिए निस्तारित किया जा रहा है। योगी सरकार द्वारा उठाए गए सटीक प्रबंधन की वजह से पराली जलाने की घटनाओं में बड़े पैमाने पर कमी आई आई है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण में भी कमी दर्ज की गई है। वहीं किसानों को उपज के अवशेषों के औद्योगिक और घरेलू उपयोग के माध्यम से आय के नए स्रोत उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

रोजगार सृजन
उत्तर प्रदेश में पराली के औद्योगिक उपयोग की पहल से धान के भूसे को औद्योगिक और घरेलू उत्पादों में उपयोग करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर सृजित हुए हैं। इसके अलावा जैविक खेती और एलसीवी (लीफ कम पोस्ट वेस्ट) के उपयोग को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता में सुधार किया गया। इससे किसानों की आय में वृद्धि हुई और उन्हें नए बाजारों में प्रवेश करने का मौका मिला।

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