भारत के रक्षा उपकरणों का लगातार बढ़ रहा है निर्यात
LP Live, New Delhi: भारत-फ्रांस सैन्य उप समिति (एमएससी) की 21वीं बैठक में रक्षा के क्षेत्र में सहयोग तंत्र को मजबूत करने पर बल दिया गया और तंत्र के दायरे में नई पहलों की तलाश और रक्षा गतिविधियों को मजबूत बनाने के लिए चर्चा हुई।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार नई दिल्ली स्थित वायु सेना स्टेशन (आईडीएस मुख्यालय) में 16-17 अक्टूबर को भारत की ओर से आयोजित भारत की अध्यक्षता में आयोजित भारत-फ्रांस सैन्य उप समिति (एमएससी) की 21वीं बैठक में एकीकृत स्टाफ (सैन्य सहयोग) के सहायक प्रमुख एयर वाइस मार्शल आशीष वोहरा और फ्रांस की ओर से संयुक्त स्टाफ के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संबंध के जनरल ऑफिसर मेजर जनरल एरिक पेल्टियर ने बैठक की सह-अध्यक्षता की। .
रणनीतिक व परिचालन पर बातचीत
भारत-फ्रांस एमएससी मुख्यालय, एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यातलय और फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के संयुक्त स्टाफ मुख्यालय के बीच रणनीतिक और परिचालन स्तरों पर नियमित बातचीत और उसके जरिए दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के विकास के लिए स्थापित एक मंच है। बैठक मैत्रीपूर्ण, गर्मजोशी से भरपूर और सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। चर्चा का केन्द्रा मौजूदा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग तंत्र के दायरे में नई पहलों की तलाश और पहले से जारी रक्षा गतिविधियों को सुदृढ़ बनाना था।
भारत के रक्षा उपकरणों का निर्यात 6 हजार करोड़ के पार
रक्षा मंत्रालय के अनुसार पिछले पांच वर्षों में देश का कुल डिफेंस एक्सपोर्ट 52,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। भारत में लगातार बढ़ते भारत केरक्षा निर्यात के संबन्ध में डिफेंस प्रोडक्शन डिपार्टमेंट (डीडीपी) के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक भारत ने 6,052 करोड़ रुपये के डिफेंस उपकरण, सब-सिस्टम्स, पार्ट्स और कंपोनेंट का एक्सपोर्ट किया है। डिफेंस एक्सपोर्ट में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी महत्वपूर्ण रही है जिससे निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। इस साल अब तक कुल एक्सपोर्ट में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी करीब दो-तिहाई है। पिछले पांच सालों में यह 45 फीसदी से 90 फीसदी तक रहा है। लगभग 80 देश भारत से डिफेंस उपकरण आयात करते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर 143 लाख करोड़ खर्च होंगे
भारत वित्त वर्ष 2023-24 से 2029-30 के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 143 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा कि यह राशि पिछले सात वित्त वर्षों में खर्च किए गए 67 लाख करोड़ रुपए की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। वहीं इस अवधि में 36.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश हरित परियोजनाओं में होगा, जो 2017-2023 के मुकाबले 5 गुना है