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भारत ने चांद पर तिरंगा फहराकर अंतरिक्ष में रचा इतिहास

इसरो के मिशन चन्द्रयान-3 के लैंडर विक्रम की चांद पर सफल लैंडिंग

पीएम मोदी ने जोहान्सबर्ग से वर्चुअली जुड़कर वैज्ञानिकों दी बधाई
LP Live, New Delhi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चन्द्रयान-3 मिशन को आज शाम उस समय सफलता मिली, जब लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की। यह भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण रहा, जिसके साक्षी बने पीएम नरेन्द्र मोदी भी जोहान्सबर्ग से वर्चुअली जुड़े रहे और इसरो के वैज्ञानिकों को इस सफल मिशन के लिए शुभकामनाएं दी।

इसरो के अनुसार लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग सफल हुई तो रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आया और इसरो से कमांड मिलते ही उसने चांद की सतह पर चलना शुरु कर दिया। लैंडर विक्रम ने बुधवार की शाम ठीक 6.04 बजे लैंड किया और लैंडिंग करते ही उसने अपना काम शुरु कर दिया। अब यह 500 मीटर तक के इलाके में चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में इसरो को जानकारी भेजेगा। भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 के शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर साउथ पोल इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग करते ही पूरे भारत में जश्न का माहौल शुरु हो गया। भारत चन्द्रमा की सतह पर साउथ पोल इलाके में पहुंचने वाला पहला महत्वकांक्षी मिशन और सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं।

इसरो की महत्वकांक्षी योजना सफल
चन्द्रयान-2 की विफलता के बाद इसरों ने 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन के लिए तैयारियां की थी, जो आज ऐतिहासिक रुप में सामने नजर आई। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों और अन्य लोगों के लिए चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाया गया लैंडर चंद्र मिट्टी की ओर उतरने की प्रक्रिया पर विश्वास था। चांद पर उतरते समय लैंडर विक्रम के पहले दो चरण सफल होने के बाद यह विश्वास हकीकत में बदलता नजर आया। गौरतलब है कि गौरतलब है कि विक्रम लैंडर जो कुछ साल पहले चंद्रयान -2 मिशन का हिस्सा था, चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जब यह लैंडिंग के अंतिम चरण पर था। पिछले चार दिन पहले ही इससे पहले चंद्रमा पर रूस के लूना-25 अंतरिक्ष यान के दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके बाद भारत में मंदिरों में पूजा अर्चना और मिस्जिदों में दुआएं मांगने का सिलसिला शुरु हो गया था। आखिर चन्द्रमा पर इसरो के मिशन के तहत तिरंगा फहराते ही भारत ने अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचन कर साबित कर दिया है कि भारतीय वैज्ञानिक कितने सक्षम हैं।

क्या है चन्द्रयान-3 का मॉडल
इसरो चेयरमैन एस.सोमनाथ के मुताबिक चन्द्रमा पर भारत का चन्द्रयान-3 मिशन को इस प्रकार से विकसित किया गया था कि यदि लैंडर के सभी सेंसर और दो इंजन फेल भी हो जाएं तो भी वह चांद पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम रहेगा और हुआ भी ऐसा ही। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है। लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होते ही प्रोपल्शन मॉड्यूल भी 25 किमी गुणा 134 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगाने लगा था।

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