

LP Live, New Delhi: भारतीय लोकतंत्र को विश्व का सबसे बड़ा कार्यशील लोकतंत्र है बताते हुए ओम बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपराएं और मूल्य भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। सहिष्णुता, राजनैतिक मतभेद के बावजूद एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर मुद्दों का समाधान करना सदियों से भारत की पहचान तथा भारतीय राजनीतिक विचारधारा का अभिन्न अंग रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को संसद परिसर में आयोजित मेघालय विधानसभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेघालय विधानसभा की गिनती देश की सबसे अनुशासित सभाओं में होती है, जहां सार्थक वाद-विवाद के माध्यम से इस संस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखा गया है। संसदीय प्रक्रिया का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इन मतभेदों को चर्चा के माध्यम से सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियोजित ढंग से सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालना अनुचित है। उन्होंने जनप्रतिनिधिओं का आवाह्न किया कि उन्हें सदन में ऐसा आचरण करना चाहिए, जिससे देश और प्रदेश तक यह संदेश जाए कि राष्ट्र के समक्ष उपस्थित समस्याओं पर सदन में पूरी प्रतिबद्धता और सरोकार के साथ विचार हो रहा है। किसी भी विषय पर विरोध दर्ज करने के लिए सभा की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

दुनिया में आदर्श के रुप में हैं भारत के विधानमंडल
उन्होंने बताया कि सारी दुनिया में हमारे विधान मंडलों को आदर्श के रूप में देखा जाता है और हमारी विधायिका को लोकतांत्रिक वाद-विवाद के सर्वोच्च मंच के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए जनप्रतिनिधि को अनुशासन और मर्यादा के तहत आचरण करना चाहिए। अतः राजनीतिक लाभ के लिए सभा की कार्यवाही को रोकना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन के नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं के मौजूदा ढांचे के तहत, एक सदस्य सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा सकता है, जनता की समस्याओं को उजागर कर उनके निवारण की मांग कर सकता है और नीति निर्माण पर सार्थक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की आलोचना करते समय या किसी मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते समय सदस्यों को समन्वित और पूर्व नियोजित तरीके से सदन की कारवाई में बाधा नहीं डालना चाहिए।
नियमों की समीक्षा और संशोधन पर बल
निर्धारित समय के भीतर कानूनों से सम्बंधित नियम बनाने पर जोर देते हुए बिरला ने सुझाव दिया कि विधानसभाओं की नियम समिति नियमित रूप से बैठक करें, नियमों की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि नियम और अधिनियम समय की मांग के अनुसार संशोधित किये जाएं। उन्होंने कहा कि विधान सभाओं द्वारा विधानों के प्रभाव का अध्ययन और समीक्षा की जानी चाहिए। बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां महत्वपूर्ण सिफारिशें देती हैं और उनकी रिपोर्ट बहुत प्रासंगिक होती हैं। इससे पहले, मेघालय विधान सभा के अध्यक्ष थॉमस ए संगमा ने प्रबोधन कार्यक्रम में आशा व्यक्त की है कि इससे सदस्यों के क्षमता निर्माण में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम में लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह और अपर सचिव प्रसेनजीत सिंह भी मौजूद रहे।
