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बांग्लादेश की हिंसा के हालातों पर भारत की पैनी नजर

उपद्रवियों के निशाने पर हिंदू और मंदिर तोड़े जा रहे हैं: जयशंकर

बांग्लादेश में फंसे हैं हजारों की संख्या में भारतीय नागरिक
LP Live, New Delhi: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी जारी हिंसा को लेकर भारत सरकार ने संसद में हालातों को लेकर जानकाररी दी। दोनों सदनों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों यानी हिंदूओं स्थिति पर भारत लगातार नजर रखे हुए हैं और अपने राजनयिक मिशनों के जरिए भारत सरकार भारतीय समुदाय के संपर्क में हैं। बांग्लादेश भारत की सीमा पर पर सुरक्ष बलों को सतर्क रहने के निर्देश दिये गये हैं।

लोकसभा और राज्यसभा में बांग्लादेश में चल रहे संघर्ष को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने पांच अगस्त को राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने हालात को संभालने और अंतरिम सरकार के गठन की बात की। भारत अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ में हैं। भारत अल्पसंख्यकों की स्थिति के संबंध में भी स्थिति की निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक पड़ोसी देश बांग्लादेश में 19 हजार भारतीय नागरिक हैं, जिनमें करीब 9 हजार छात्र हैं। हालांकि ज्यादातर छात्र जुलाई के महीने में ही भारत लौट आए थे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भारत ढाका की सेना के भी संपर्क में हैं। स्वाभाविक रूप से हम कानून और व्यवस्था बहाल होने तक अल्पसंख्यक हिंदुओं को लेकर चिंतित रहेंगे। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के दशकों से गहरे संबंध हैं। वहां के हालात से यहां भी चिंता उत्पन्न हुई है। वहां जून से हालात बिगड़ने शुरु हुए और यह सिलसिला अब तक जारी है। जो कुछ पड़ोसी देश में हुआ, उसका एक सूत्री एजेंडा यह था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दें।

सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों पर हमले
विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश हमारे बहुत करीब है। जनवरी से वहां तनाव है। बांग्लादेश में जून-जुलाई से हिंसा शुरू हुई। हम वहां की राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में थे। कोटा सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बांग्लादेश में हालात नहीं सुधरे और शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। चार अगस्त को सबसे ज्यादा हालात बिगड़े। सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हुए और मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, जो एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ढाका में अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है। नई दिल्ली को उम्मीद है कि मेजबान सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के अलावा बांग्लादेश में भारतीय प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि उच्चायोग के अलावा हमारी राजनयिक उपस्थिति के संदर्भ में, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में हमारे सहायक उच्चायोग मौजूद हैं।

शेख हसीना को भारत आने की मंजूरी दी
विदेश मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने पर बताया कि हसीना के बहुत कम समय के नोटिस पर भारत आने के अनुरोध के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को प्रदर्शनकारी कर्फ्यू के बावजूद ढाका में एकत्र हुए। हमारी समझ यह है कि सुरक्षा संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया। बहुत कम समय के नोटिस पर न्होंने कुछ समय के लिए भारत आने की मंजूरी मांगी और वे भारत पहुंची।

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