गुजरात के 105 पूर्व विधायको को नही मिलेगी पेंशन
राज्य में नही है भूतपूर्व विधायकों को पेंश्न देने का कानूनी प्रावधान
LP Live, Desk: गुजरात में चुनाव के नतीजों के बाद अब 15वीं विधानसभा का गठन होने जा रहा है। इसमें 14वीं विधानसभा सदस्य रहे 105 पूर्व विधायक हो चुके हैं, जिन्हें प्रदेश में भूतपूर्व विधायकों को पेंशन देने न देने के कानूनी प्रावधान के तहत पेंशन नहीं मिलेगी।
गुजरात में 8 दिसम्बर को विधानसभा के आम चुनावों के नतीजों में प्रदेश में गत अढ़ाई दशक से सत्तासीन भाजपा ने एक बार फिर बंपर जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की एवं विधानसभा की कुल 182 सीटों में से भाजपा ने 156 सीटों पर जीत हासिल कर नया कीर्तिमान स्थापित किया। भाजपा ने गुजरात में 52.50 प्रतिशत वोट लेकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। दरअसल निवर्तमान 14वीं गुजरात विधानसभा के 182 में से 77 विधायक ही दोबारा चुनाव जीतकर नई गठित 15 वीं गुजरात विधानसभा के सदस्य (विधायक) निर्वाचित हुए हैं। इस प्रकार पिछली विधानसभा के शेष 105 विधायक अब पूर्व विधायक बन गये हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि गुजरात ऐसा इकलौता राज्य है जहाँ प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्यों (विधायकों) को पेंशन ही नहीं मिलती है। हालांकि वर्ष 1984 में तत्कालीन माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व विधायकों को पेंशन देने सम्बंधी विधानसभा से कानून बनवाया गया था, लकिन उसका क्रियान्वयन नहीं हो सका। सितम्बर 2001 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विधानसभा द्वारा उपरोक्त 1984 कानून को ही रद्द/समाप्त करवा दिया था।
मोदी भी नहीं बनवा सके पेंशन देने का कानून
उसके कुछ दिनों बाद 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने परन्तु उन्होंने भी साढ़े बारह वर्षो के शासनकाल में पूर्व विधायकों को पेंशन देने सम्बन्धी कोई नया कानून नहीं बनवाया। मोदी के बाद पहले आनंदीबेन पटेल, फिर विजय रुपानी और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल के कार्यकाल में भी ऐसा नहीं किया गया। इस प्रकार आज तक गुजरात विधानसभा के सदस्य रह चुके सभी पूर्व विधायकों को उनके कार्यकाल की पेंशन नहीं मिलती है।