

LP Live, New Delhi: ओडिशा के भीषण रेल हादसे पर शुरु हुई सियासत के बीच रेलवे ने रेल दुर्घटनपा की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है, हालांकि सीआरएस की जांच भी जारी रहेगी। इस हादसे की अब तक की गई जांच के आधार पर केंद्र सरकार और रेलवे ने घटना की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है।
यह जानकारी ओडिशा में रेलमंत्री अश्विनी, केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और केंद्र्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुा मांडविया ने एक प्रेस कांफ्रेस करते हुए दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब तक मिली जानकारी के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है। रेल मंत्री वैष्णव ने यह भी कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट का इंतजार है। इसका कारण यह भी है कि ओड़ीसा के बालासोर में तीन ट्रेनों की इस भीषण हादसे को लेकर संवेदनशील होने के बजाए राजनीतिक दलों ने सियासत करते हुए सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत विपक्ष ने रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग की हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौतों के आंकड़े पर सवाल खड़े किए हैं।

इसके विपरीत रेल मंत्री ने बताया कि इससे पहले रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में रविवार को एक तरह से चालक की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार करते हुए संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के ‘असल कारण’ का पता लगा लिया गया है और इसके लिए जिम्मेदार ‘अपराधियों’ की पहचान कर ली गई है। बालासोर जिले में दुर्घटनास्थल पर ही उन्होंने कहा कि यह हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण हुआ। रेल मंत्री वैष्णव ने यह भी कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट का इंतजार है। इससे पहले रविवार को तीनों केंद्रीय मंत्रियों अश्विनी वैष्णव, धर्मेंद्र प्रधान और मनसुखभाई मांडविया ने बालासोर, सोरो और कटक के हॉस्पिटलों का दौरा किया और 200 से ज्यादा मरीजों से स्वयं मिलकर उनके इलाज की जानकारी ली।
बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इंकार नहीं
उधर दिल्ली में रेलवे के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार इस हादसे के पीछे बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया सकता। अधिकारियों ने बताया कि ‘प्वाइंट मशीन’ और इंटरलॉकिंग प्रणाली जैसे काम करती है, उसकी वह प्रणाली ‘त्रुटि रहित’ और ‘विफलता में भी सुरक्षित’ (फेल सेफ) है। रेलवे बोर्ड की परिचालन और व्यवसाय विकास मामलों की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि इसे ‘फेल सेफ’ प्रणाली कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि अगर यह फेल भी हो जाए तो सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे और ट्रेन का सारा परिचालन बंद हो जाएगा। यह भी संकेत दिये गये कि कृत्रिम मेधा (एआई)आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली के ‘लॉजिक’ के साथ इस तरह की छेड़छाड़ केवल ‘जानबूझकर’ हो सकती है, लेकिन प्रणाली में किसी खराबी की संभावना नहीं है। इसलिए केवल यह अंदर या बाहर से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ का मामला हो सकता है।
