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माधव कौशिक बने राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष

हरियाणा के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों में गजल के फनकार हैं कौशिक

LP Live, New Delhi: राष्ट्रीय साहित्य अकादमी कार्यकारिणी के हुए चुनाव में हरियाणा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार माधव कौशिक राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चुने गये हैं। जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. कुमुद शर्मा महज एक वोट लेकर उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुई हैं।

राष्ट्रीय साहित्य अकादमी अध्यक्ष पद के लिए शनिवार को नई दिल्ली स्थित रवींद्र भवन में हुए चुनाव में अकादमी कार्यकारिणी के 99 सदस्यों ने मतदान किया। अध्यक्ष पद के चुनाव में माधव कौशिक के पक्ष में 60 वोट पड़े, जबकि कन्नड़ साहित्यकार मल्लपुरम वेंकटेश को 35 वोट और मराठी साहित्यकार रंगनाथ पठारे को तीन वोट से संतोष करना पड़ा। कौशिक के अलावा साथ प्रसिद्ध मराठी लेखक रंगनाथ पठारे और कन्नड़ साहित्यकार मल्लपुरम वेंकटेश भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे। साहित्य अकादमी में माधव कौशिक उपाध्यक्ष थे और अकादमी की सलाहकार समिति के संयोजक भी रह चुके हैं। अब वे गत 12 फरवरी, 2018 को साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बने चंद्रशेखर कंबार का स्थान लेंगे। अकादमी के अध्यक्ष पद पांच साल के लिए होता है। साहित्य जगत में गजलकार, कवि एवं एक चिंतक के रुप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हासिल कर चुके कौशिक ने शारजहा, अबूधाबी, जोहन्सबर्ग एवं मैक्सिकों जैसे देशों में आयोजित विश्व लेखक सम्मेलन तथा विश्व पुस्तक मेलों में भारतीय साहित्य अकादमी का प्रतिनिधित्व भी किया है।

कौन हैं माधव कौशिक
हिंदी कविता और गजलों में लोकप्रिय रहे माधव कौशिश का जन्म हरियाणा के भिवानी शहर में एक नवंबर 1954 को हुआ था। कौशिक चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने नौ गजल संग्रह समेत तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तके लिखी हैं। हिंदी कविता, कहानी, बाल साहित्य, गजल के क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल की है। उनका खंड काव्य ‘सुनो राधिका’ और बालगीत ‘खिलौने माटी के’ ने साहित्य जगत में सुर्खियां बटोरी हैं। खंड काव्य सुनो राधिका का संस्कृत, उर्दू, पंजाबी तथा उड़िया, खंड काव्य लौट आओ पार्थ का पंजाबी में अनुवाद हुआ। वहीं कविता संग्रह कैण्डल मार्च का अंग्रेजी, पंजाबी, उड़िया तथा असमिया में अनुवाद किया गया। उनकी कुछ रचनाओं का स्पैनिश, तेलगु, बांग्ला तथा मराठी भाषा में भी अनुवाद हुआ है। इसी प्रकार उनकी चर्चित गजलों में ‘सारे सपने बागी हैं’, ‘आईनों के शहर में’, ‘किरण की सुबह’, ‘सपने खुली निगाहों के’, ‘हाथ सलामत रहने दो’, ‘आसमान सपनों का’ और ‘नई सदी का सन्नाटा’ बेहद लोकप्रिय हैं। भारत सरकार की सेवा में राजभाषा अधिकारी के पद पर रहे कौशिक ने साहित्य अकादमी के सचिव, उपाक्ष तथा अध्यक्ष के रुप में दो दशकों तक कार्य किया है।

एक वोट से उपाध्यक्ष बनी कुमुद शर्मा
राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष पद के लिए प्रो. कुमुद शर्मा को 50 और सी. राधाकृष्णन को 49 वोट मिले। यानि कुमुद एक वोट से उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित घोषित की गई। साहित्य अकादमी के चुनाव में सभी 24 भारतीय भाषाओं के प्रमुखों के लिए भी वोट डाले गए। इस दौरान गोविंद मिश्र हिंदी भाषा के प्रमुख चुने गए हैं, जो विकास दबे को हराकर निर्वाचित हुए। 30 मार्च 1960 को जन्मीं कुमुद शर्मा वर्ष 2006 से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य कर रही हैं। वे प्रसार भारती की कोर कमेटी, एनसीईआरटी की सलाहकार, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल सहित भारत की विभिन्न साहित्य और शैक्षिक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रही हैं। कुमुद शर्मा को उनके साहित्यिक और शैक्षिणिक योगदान के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता पुरस्कार, दामोदर चतुर्वेदी स्मृति सम्मान और साहित्यश्री जैसे की सम्मानों से पुरस्कृत किया जा चुका है।

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