खनिज अन्वेषण के लिये 13 निजी एजेंसियों को मान्यता
सरकारी एजेंसियों की संख्या बढ़कर 22 तक पहुंची
LP Live, New Delhi: केंद्र सरकार ने खनिज सेक्टर में अन्वेषण करने के लिये क्यूसीआई-नेबैट द्वारा प्रत्ययन मिलने के बाद 13 निजी एजेंसियों को मान्यता दी है। अब खनिज अन्वेषण में संलग्न सरकारी एजेंसियों की कुल संख्या 22 हो गई है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में खान एवं खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम में हुए संशोधन के आधार पर खनिज सेक्टर में अन्वेषण करने के लिये क्यूसीआई-नेबैट द्वारा प्रत्ययन मिलने के बाद अब निजी एजेंसियों की भागीदारी भी संभव हो जायेगी। अब तक 13 निजी एजेंसियों को मान्यता दी जा चुकी है और केंद्र सरकार ने इसे अधिसूचित भी कर दिया है। मिनिरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) कंपनी, एनएमईटी वित्तपोषण के जरिये खनिज अन्वेषण गतिविधियां चला रही है। मौजूदा अन्वेषण कामों के अलावा, एमईसीएल राज्य डीजीएम/डीएमजी को सलाहकार सेवायें दे रहा है, ताकि कार्रवाई योग्य ब्लॉकों के लिये रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेज तैयार किये जा सकें। एमईसीएल, राजस्थान के पश्चिमी भू-भाग में पोटाश भंडार के आवश्यक अध्ययन के लिये राजस्थान सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।
व्यापक है खनन क्षेत्र
भारत खनिजों की दृष्टि से समृद्ध है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अनुसार देश के मापन योग्य 31.4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से करीब 5.71 लाख वर्ग किलोमीटर की पहचान गैर-ईंधन और गैर-कोयला प्रमुख अनुसूचित खनन क्षेत्र के रूप में की गई है। वर्तमान में करीब 4550 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र देशभर में पट्टे पर दिया जा चुका है, जिसमें ईंधन, परमाणु और लघु खनिज शामिल नहीं हैं। खनन क्षेत्र की व्यापक संभावनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। प्रति व्यक्ति खनिज एवं ऊर्जा की खपत समृद्धि के महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक है। अभी तक हम कोयला और लौह अयस्क जैसे बुनियादी खनिजों का आयात करते रहे हैं, हालांकि हमारे यहां इन खनिजों के कुछ सबसे बड़े ज्ञात भंडार हैं। नई खनन और खनिज नीति इस क्षेत्र में बदलाव लाने का प्रयास करेगी।
नई खनन नीति से रोजगार सृजन
नई खनन नीति से उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक देश में कम से कम 60 लाख रोजग़ार के नए अवसर पैदा होंगे। प्रत्येक खान में सैंकड़ों या हजारों की संख्या में कुशल एवं अकुशल लोगों की भर्ती की जाती है। किसी खान के 50-100 किलोमीटर के दायरे में, स्थानीय रोजग़ार सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है और यह देखा गया है कि गरीबों के पोषण स्तर में काफी सुधार होता है। खनिजों की खोज और बड़े पैमाने पर उनके खनन से निश्चित रूप से खनन प्रसंस्करण और उपयोग में भी रोजग़ार के लाखों अवसर पैदा होंगे।