सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्लूएस आरक्षण को माना पूरी तरह वैध
सवर्णों को मिलता रहेगा 10 प्रतिशत रिजर्वेशन: कोर्ट
LP Live, Delhi:
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने ईडब्लूएस (EWS) आरक्षण के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। बेंच में 3-2 के जजमेंट से ईडब्लूएस (EWS) आरक्षण को पूरी तरह से वैध करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में इस फैसले को सुनाने वाले जजों में चीफ जस्टिस यूयू ललित के अलावा जज एस रवींद्र भट, दिनेश माहेश्वरी, जेबी पार्डीवाला और बेला एम त्रिवेदी शामिल रहे हैं, इनमें दो जजों चीफ जस्टिस यूयू ललित और जज एस रवींद्र भट ने आरक्षण को गलत बताते हुए फैसले का समर्थन नहीं किया। बाकी के तीनों जजों ने इस इस आरक्षण को पूरी तरह से संवैधानिक बताते हुए इसे वैध करार दिया। वहीं फैसले में कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को यह आरक्षण मिलता रहेगा। गौरतलब है कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने ईडब्लूएस आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया था, जिसके लिए केंद्र सरकार ने संविधान में 103वां संशोधन किया और इसे लागू कर दिया गया था। ईडब्लूएस आरक्षण को मौजूदा तमिलनाडु सरकार समेत कई याचिकाकर्ताओं ने संविधान के खिलाफ बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साल 2022 में संविधान पीठ का गठन हुआ और 13 सिंतबर को चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रवींद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पादरीवाला की संविधान पीठ ने इस पर सुनवाई शुरू कर दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने दी ये दलील
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि ईडब्लूएस आरक्षण का मकसद सामाजिक भेदभाव झेलने वाले वर्ग का उत्थान था। लेकिन अगर इसका आधार गरीबी है तो इसमें एसी, एसटी और ओबीसी को भी जगह मिले। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा है कि ईडब्लूएस के तहत 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। इस पर केंद्र सरकार का तर्क है कि ईडब्लूएस तबके को सामाजिक और आर्थिक रूप से समानता दिलाने की दिशा में यह व्यवस्था आवश्यक है और इस व्यवस्था से आरक्षण और किसी दूसरे वर्ग के आरक्षण को इसका कोई नुकसान नहीं है।