संसद हमले में नौ सुरक्षाकर्मियों ने दी थी शाहदत, पांच आतंकी किये थे ढ़ेर
LP Live, New Delhi: भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले की 21वीं बरसी पर मंगलवार को संसद परिसर में मनाई गई। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजिल अपर्ति की और उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में मंगलवार को 21 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने संसद भवन पर हमला किया था। संसद पर हुए इस कायराना आतंकवादी हमले की यादें भारतीयों के दिलो-दिमाग में आज भी ताजा हैं। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान समेत संसद की सुरक्षा में लगे नौ जवान शहीद हुए थे। सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों का मुकाबला करते हुए जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादियों को मार गिराने के बाद बलिदान दिया था। सुरक्षा जवानों के इस बलिदान को याद करने के लिए संसद परिसर में में मंगलवार को उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजिल अपर्ति की और उनके सर्वोच्च बलिदान को याद किया। इस आतंकी हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु और शौकत हुसैन समेत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। 12 साल बाद नौ फरवरी 2013 को अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी।
पुष्कर सिंह धामी ने दी श्रद्धांजलि
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को संसद भवन परिसर नई दिल्ली पहुंचकर संसद हमले के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री धामी ने सन 2001 में लोकतंत्र के मंदिर पर हुए आतंकी हमले में अपने प्राण न्योछावर कर माँ भारती के गौरव की रक्षा करने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राष्ट्र की रक्षा हेतु दिया गया बलिदान सदैव हमारे लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
दुष्यंत चौटाला ने किया नमन
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने 21 साल पहले संसद पर हुए आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने शहीदों को नमन करते हुए संसद पर हमले की बरसी पर देश के उन वीर सपूतों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। चौटाला ने कहा कि आतंकियों के नापाक इरादों को नाकाम करते हुए प्राण न्योछावर कर दिए थे। कृतज्ञ राष्ट्र अपने शहीदों के अनुकरणीय शौर्य और साहस को कभी भुला नहीं सकेगा।