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सेना में भर्ती अग्निवीरों के पहले बैच का प्रशिक्षण शुरू

केंद्र सरकार की अग्निवीर स्कीम में महिलाएं भी शामिल

देश के विभिन्न सैनिक प्रशिक्षण केंद्रों पर दिया जा रहा है प्रशिक्षण
LP Live, Delhi: केंद्र सरकार की भारतीय सेना में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निवीर योजना शुरू की है। इस योजना के तहत पिछले साल भर्ती हुए पहले बैच के अग्निवीरों का प्रशिक्षण देश के करीब एक दर्जन प्रशिक्षण केंद्रों पर प्रशिक्षण शुरू हो गया है, जो छह से आठ महीने का होगा। इसके बाद उन्हें अलग अलग क्षेत्रों में तैनाती दी जाएगी।

रक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार पिछले साल अग्निवीर स्कीम के तहत भारतीय सेना में महिलाओं समेत भर्ती किये गये करीब चालीस हजार अग्निवीरों को इस माह जनवरी के पहले सप्ताह में प्रशिक्षण के लिए अलग अलग केंद्रों पर भेजा गया है, जहां उन्हें दो चरण में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले चरण में अग्निवीरों को 31 सप्ताह के प्रशिक्षण में बेसिक मिलिट्री ऑपरेशन्स की जानकारी दी जाएगी। अग्नीवरों को बेसिक साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग, फायरिंग की ट्रेनिंग और कम्युनिकेशन समेत कई और चीजों की सिखाई जाएंगी। दूसरे चरण में उन्हें प्रमोट करने के लिए इन्हें फरवरी महीने के बीच-बीच से इन्हें रिपोर्ट करना पड़ेगा और वहीं इनकी ट्रेनिंग एक मार्च से शुरू कर दी जाएगी। इन दो हिस्सों में अग्निवीरों को सिम्युलेटर और ऑटोमेशन तकनीक का इस्तेमाल करके एक मजबूत पाठ्यक्रम संरचना के माध्यम से उन्हें देश को सबसे आधुनिक सुविधाएं पहुंचाई जाएगी।

इन केंद्रों पर प्रशिक्षण शुरू
भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया के बाद करीब चालीस हजार अग्निवीरों का देश के एक दर्जन ट्रेनिंग सेंटरों पर प्रशिक्षण शुरू हो गया है। जिन रेजीमेंटल सेंटर्स पर अग्निवीरों के पहले बैच की ट्रेनिंग शुरू हुई है उनमें प्रमुख रुप से आर्मर्ड कोर ट्रेनिंग सेंटर, अहमदनगर (महाराष्ट्र), आर्टिलरी ट्रेनिंग सेंटर, नासिक (महाराष्ट्र), आर्टिलरी ट्रेनिंग सेंटर, हैदराबाद (तेलंगाना), जैक रिफ रेजिमेंटल सेंटर, जबलपुर (मध्य प्रदेश) और वन एसटीसी. जबलपुर (मध्य प्रदेश), कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस, बेंगलुरू (कर्नाटक) है। जबकि महिला अग्निवीरों के लिए पंजाब रेजिमेंटल सेंटर, रामगढ़ (झारखंड), सिख रेजिमेंट सेंटर, रामगढ़ (झारखंड), बिहार रेजिमेंट सेंटर, दानापुर (बिहार), कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर, रानीखेत (उत्तराखंड), टू एसटीसी, गोवा तथा द गार्ड्स रेजिमेंटल सेंटर, नागपुर (महाराष्ट्र) शामिल है।

बेसिक से आधुनिक स्तर तक प्रशिक्षण
हैदराबाद ट्रेनिंग सेंटर में ब्रिगेडियर राजीव चौहान ने इन अग्निवीरों के बारे में कहा कि हम इन युवा अग्निवीरों की प्रशिक्षण करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह प्रोग्राम पूरी तरह से ट्रेंड अग्निवीरों को आर्टिलरी यूनिट्स में निर्बाध एकीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यवस्थित रूप से तैयार किया गया है। उनका कहना है कि विकसित तकनीक का इस्तेमाल अग्नीवरों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण कदम होगा।

क्या है अग्निपथ स्कीम
केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम को लागू किया था। इस अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा। ये सभी अग्निवीर चार साल के लिए सेना में भर्ती होंगे. चार साल की सेवाओं के बाद समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीर ही सेना में आगे अपनी सेवाएं दे पाएंगे और बाकी 75 प्रतिशत को रिटायर कर दिया जाएगा। चार साल के बाद जो अग्निवीर सेना में सेवाएं देगा, वही सैनिक कहलाया जाएगा और उसकी रैंक फिर आम सैनिकों की तरह लांस नायक, नायक, हवलदार इत्यादि होगी. सेना में ऑफिसर्स की भर्ती के लिए पहले की तरह ही एनडीए और सीडीएस के माध्यम से चलती रहेगी। भारतीय सेना के मुताबिक अगले 10 साल यानि 2032 में भारतीय सेना में 50 प्रतिशत अग्निवीर होंगे और बाकी 50 प्रतिशत नियमित सैनिक होंगे. वायुसेना और नौसेना में 3-3 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी. नौसेना में अग्निवीरों के पहले बैच की ट्रेनिंग भी ओड़िशा के आईएनएस चिल्का में शुरु हो चुकी है।

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